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डब्ल्यूएचओ की चेतावनी: वर्ष 2050 तक हो सकती है हर साल 10 मिलियन लोगों की मौत, जानें पूरा मामला

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है। एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसके चलते रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण 2050 तक प्रति वर्ष 10 मिलियन लोगों की मौत हो सकती है।

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जयपुर

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Jaya Sharma

Nov 24, 2023

एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में ये एएमआर यानि रोगाणुरोधी प्रतिरोध के रूप में उभर सकता है

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी: वर्ष 2050 तक हो सकती है हर साल 10 मिलियन लोगों की मौत, जानें पूरा मामला

जिस तेजी से एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में ये एएमआर यानि रोगाणुरोधी प्रतिरोध के रूप में उभर सकता है। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने एएमआर को 10 प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक के रूप में मान्यता दी है, दुनिया भर में बैक्टीरिया एएमआर से सालाना अनुमानित 5 मिलियन मौतें होती हैं।

ऐसे हुआ अध्ययन

इस संबंध में डब्ल्यूएचओ-यूरोप ने एक सर्वे किया। सर्वे में 14 देशों के 8,221 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें ज्यादातर पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के थे। एंटीबायोटिक्स लेने के सबसे आम कारणों में सर्दी, फ्लू जैसे लक्षण, गले में खराश और खांसी शामिल थे। ये लक्षण अक्सर वायरस के कारण होते हैं, लेकिन इनके खिलाफ एंटीबायोटिक्स देने पर भी इनका असर देखने को नहीं मिला।

रिसर्च से ये बात आई सामने
फ्रंटियर्स जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों से यह भी पता चला है कि चिकित्सक अधिकांश एंटीबायोटिक्स निर्धारित या सीधे देते हैं। 14 देशों में एक तिहाई उत्तरदाताओं ने बिना चिकित्सीय नुस्खे के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन किया। कुछ देशों में, 40 प्रतिशत से अधिक एंटीबायोटिक्स बिना चिकित्सकीय सलाह के प्राप्त की गईं।

लोग नहीं हैं अवेयर
सर्वे में यह भी सामने आया कि एंटीबायोटिक्स को लेकर लोगों में जागरुकता की कमी है। यह रिसर्च स्पष्ट रूप से शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाता है। रोगाणुरोधी दवाओं की प्रभावशीलता को संरक्षित करने के लिए कई स्तरों पर हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, जैसे समय पर टीकाकरण, बेहतर स्वच्छता और अनुचित नुस्खे में कमी।

अक्सर ये करते हैं गलती
अधिकांश लोग एंटीबायोटिक्स का कोर्स पूरा नहीं करते। तबीयत में सुधार होते देख वो दवा लेना बंद कर देते हैं। या कभी वायरल की चपेट में आएं तो उसके लिए सेव कर लेते है। इस तरह की प्रेक्टिस सही नहीं है और इससे नुकसान पहुंचता है।