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Low Sperm Count: कम स्पर्म काउंट, परिवार की मौत का रिस्क ज्यादा! नई स्टडी में खुलासा

Low Sperm Count: नई स्टडी में खुलासा, जिन पुरुषों का स्पर्म काउंट कम होता है, उनके परिवार में हार्ट डिजीज और मौत का खतरा ज्यादा पाया गया।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 26, 2025

Low Sperm Count

Low Sperm Count (photo- freepik)

Low Sperm Count: अब तक पुरुषों की फर्टिलिटी (वीर्य की गुणवत्ता) को सिर्फ बच्चे पैदा करने की क्षमता से जोड़कर देखा जाता था। लेकिन अमेरिका के यूटा राज्य में हुई एक बड़ी स्टडी ने चौंकाने वाली बात सामने रखी है। इस रिसर्च के मुताबिक, जिन पुरुषों में स्पर्म की कमी होती है, उनके परिवार के लोगों में भी समय से पहले मौत और गंभीर बीमारियों का खतरा थोड़ा ज्यादा पाया गया है। यानी पुरुषों की फर्टिलिटी सिर्फ उनकी नहीं, पूरे परिवार की सेहत का इशारा हो सकती है।

रिसर्च में क्या देखा गया?

यह अध्ययन Utah Population Database पर आधारित था, जिसमें 1996 से 2017 के बीच स्पर्म टेस्ट कराने वाले पुरुषों और उनके परिवारों का डेटा शामिल किया गया। रिसर्चर्स ने करीब 6.6 लाख रिश्तेदारों (पहली, दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक) का विश्लेषण किया। पुरुषों को तीन ग्रुप में बांटा गया-

  • एजोस्पर्मिया: जिनके वीर्य में बिल्कुल स्पर्म नहीं थे
  • ओलिगोस्पर्मिया: जिनके स्पर्म काउंट बहुत कम थे
  • नॉर्मल स्पर्म काउंट: जिनमें स्पर्म की संख्या सामान्य थी

परिवारों में क्या फर्क दिखा?

स्टडी में पाया गया कि जिन पुरुषों का स्पर्म काउंट कम था (ओलिगोस्पर्मिया), उनके परिवार के लोगों में कुल मिलाकर मौत का खतरा थोड़ा लेकिन साफ तौर पर ज्यादा था। खासकर माता-पिता, भाई-बहन और बच्चों जैसे नजदीकी रिश्तेदारों में यह असर ज्यादा दिखा। एजोस्पर्मिया वाले पुरुषों के परिवारों में भी ऐसा ही ट्रेंड नजर आया। खास बात यह रही कि इनके करीबी रिश्तेदारों में कुछ खास बीमारियों से मौत का खतरा ज्यादा था, जैसे

  • दिल की बीमारियां
  • सांस की पुरानी समस्याएं
  • पाचन तंत्र की बीमारियां
  • मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं
  • बच्चों और बुजुर्गों में अलग असर

रिसर्च के अनुसार, ऐसे परिवारों में बचपन में मृत्यु का जोखिम भी थोड़ा बढ़ा हुआ था। इसका कारण न्यूरोलॉजिकल बीमारियां, जन्मजात समस्याएं और दिल से जुड़ी दिक्कतें बताई गईं। वहीं वयस्कों में, खासकर 40 साल के बाद, गैर-संक्रामक बीमारियों, डायबिटीज, चोटों और मेटाबॉलिक समस्याओं से मौत का खतरा ज्यादा दिखा।

आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है?

वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे साझा जेनेटिक्स, लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं। यानी एक ही परिवार में खराब खानपान, प्रदूषण, तनाव या कुछ आनुवंशिक गड़बड़ियां, पुरुषों की फर्टिलिटी और पूरे परिवार की सेहत-दोनों को प्रभावित कर सकती हैं।

आम लोगों के लिए इसका क्या मतलब?

इस स्टडी से यह संकेत मिलता है कि पुरुषों की फर्टिलिटी जांच सिर्फ बच्चे के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की सेहत को समझने का एक संकेत भी हो सकती है। समय रहते जांच, बेहतर लाइफस्टाइल और हेल्थ चेकअप से न सिर्फ फर्टिलिटी, बल्कि पूरे परिवार की सेहत सुधारी जा सकती है।