scriptसीरम के सीईओ अडार पूनावाला का दावा: 2021 तक भारत के पास ‘अप्रूव्ड’ कोरोना वैक्सीन होगी | Cerum Ceo adar poonawala said India will have covid vaccine by 2021 | Patrika News

सीरम के सीईओ अडार पूनावाला का दावा: 2021 तक भारत के पास ‘अप्रूव्ड’ कोरोना वैक्सीन होगी

locationजयपुरPublished: Nov 24, 2020 03:56:31 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

कोरोना वायरस के निर्माण में भारत में सबसे आगे चल रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अडार पूनावाला का कहना है कि भारत में वैक्सीन का काम धीरे जरूर है लेकिन यह जब भी पूरा होगा पूरी तरह से सार्वजनिक डपयोग के लिए सुरक्षित होगा

सीरम के सीईओ अडार पूनावाला दावा: 2021 तक भारत के पास 'अप्रूव्ड' कोरोना वैक्सीन होगी

सीरम के सीईओ अडार पूनावाला दावा: 2021 तक भारत के पास ‘अप्रूव्ड’ कोरोना वैक्सीन होगी

दुनियाभर में जहां 120 से ज्यादा कोरोना वैक्सीन परीक्षण पर काम चल रहा है वहीं भारत में भी वैक्सीन देने के लिए कंपनियां दिन-रात प्रयास कर रही हैं। स्वदेशी कंपनियों में कोरोना वैक्सीन बनाने में सबसे आगे चल रही पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कहना है कि भारत में अप्रेल 2021 के शुरुआत में एक ‘अप्रूव्ड’ कोरोना वैक्सीन होगी जो पूरी तरह से सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित होगी। गौरतलब है कि सीरम इंस्टीट्यूट वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। वहीं वॉ स्ट्रीट जर्नल की शीर्ष रिसर्च और ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन रिसर्च ने इस साल अगस्त में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोरोना की सबसे सुरक्षित वैक्सीन बनाने के बेहद करीब है।
सीरम के सीईओ अडार पूनावाला दावा: 2021 तक भारत के पास 'अप्रूव्ड' कोरोना वैक्सीन होगी
4 कंपनियां वैक्सीन दौड़ में सबसे आगे
विश्व स्तर पर चार उम्मीदवार कंपनियां ऐसी हें जो 2020 के अंत तक या 2021 के शुरुआती कुछ महीनों में एक सुरक्षित अनुमोदित (अप्रूव्ड) और सार्वजनिक उपयोग के लिए पूरी तरह से तैयार वैक्सीन देने की दौड़ में सबसे आगे हैं। वहीं भागीदारी के माध्यम से भारत में भी दो कंपनियां ऑक्सफोर्ड का वायरल वेक्टर वैक्सीन और नोवावैक्स की प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन पर तेजी से काम कर रही हैं। बर्नस्टीन रिपोर्ट में स्पष्ट तौर से कहा गया है कि इन दोनों वैक्सीन की मौजूदा क्षमताओं और उन्हें अप्रूव्ड करने कासमय, वायरस से लडऩे की क्षमता और टीके की कीमत के आधार पर कोई एक या संभवत: दोनों वैक्सीन कंपनियों को आने वाले कुछ महीनों में जबरदस्त मुनाफा दे सकती हैं।
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शुरुआती चरणों में सफल परीक्षण
वहीं बर्नस्टीन रिपोर्ट में दोनों कंपनियों के वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों के डेटा के आधार पर दोनों कंपनियों को vaccine की सुरक्षा और वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित करने में भी सफलता मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरह से चीजें अब दिख रही हैं, दोनों टीकों की दो खुराक 21 से 28 दिनों में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी (90 to 95% effective) विकसित करने लगेगी। वॉलस्ट्रीट जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की यह रिपोर्ट भारत के वैश्विक रूप से वैक्सीन देने की क्षमता के विषय में उम्मीदें जगाती है। रिपोर्ट के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 2021 में 60 करोड़ (600 मिलियन) खुराक और 2022 में करीब 100 करोड़ (1 बिलियन) खुराक की आपूर्ति कर सकती है जिसमें से 40 से 50 करोड़ (400 से 500 मिलियन) खुराक 2021 तक अकेले भारत में उपयोग हो सकती है। रिपोर्ट का अनुमान है कि सरकारी और निजी बाजार के बीच वैक्सीन का क्रमश: 55:45 के अनुपात में भागीदारी होगी।

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ये देसी कंपनियां भी बना रही वैक्सीन
सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि वह अपनी वैक्सीन की कीमत 3 डॉलर प्रति खुराक रखेगी। लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट के अलावा कम से कम 3 कंपनियां और हैं जो भारत में वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं। इन भारतीय फार्मा कंपनियों में ज़ायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई को सूचीबद्ध किया गया है। ये तीनों कंपनियां अपनी स्वयं की वैक्सीन पर काम कर रही हैं और वर्तमान में परीक्षण के चरण 1 और 2 में हैं। भारत बायोटेक, बायोलॉजिकल ई और कुछ छोटे खिलाडियों के बीच, भारत हर साल लगभग 2.3 बिलियन विभिन्न वैक्सीन की खुराक का उत्पादन करता है। सीरम इंस्टीट्यूट, ज़ायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई समेत कुछ अन्य छोटी कंपनियों के दम पर भारत सालाना करीब 200 से 300 करोड़ (2-3 बिलियन) अलग-अलग वैक्सीन और खुराक का उत्पादन करता है। वहीं सीरम अकेले 150 करोड़ (1.5 बिलियन) खुराक क्षमता वाले टीकों का विश्व स्तर पर सबसे बड़ा निर्माता है। वैश्विक स्तर पर हर तीन में से दो बच्चों को सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित वैक्सीन या खुराक मिलती है। बर्नस्टीन के अनुसार, भारत में कुल वैक्सीन बाजार का अनुमान वित्त वर्ष 2021-2022 में 600 करोड़ (6 बिलियन डॉलर) का होने की उम्मीद है।

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आसान नहीं कीमत तय करना
न्यूयॉर्क में एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में बायोएथिक्स के प्रोफेसर आर्थर एल. कैपलान का कहना है कि किसी भी संभावित सफल कोरोना वैक्सीन की कीमत तयकर पाना आसान नहीं होगा। खासकर तब जब यह अरबों डॉलर का परिणाम हो और लोगों की जान बचा सकती हो। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि कीमत इतनी महंगी नहीं होंगी कि इसे आम आदमी खरीद ही न पाए क्योंकि सीमित पहुंच के चलते वैक्सीन का खर्च तक निकालना मुश्किल हो जाएगा। उनका कहना है कि अगर इसे मानव कल्याण के लिए उपलब्ध कराया जाएगा तब तो यह सस्ती होगी लेकिन अगर कंपनियों ने डिमांड को देखते हुए मुनाफा कमाने की सोची तो आम आदमी के लिए वैक्सीन का सपना बहुत महंगा हो सकता है।

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मॉडर्ना के अलावा अन्य फार्मास्युटिकल कंपनियां, जो ट्रम्प प्रशासन के वैक्सीन मिशन ‘ऑपरेशन वार्प सीड ‘ का हिस्सा हैं, वे प्रति डोज 4 डॉलर से 20 डॉलर तक वैक्सीन का शुल्क वसूल सकती हैं। वर्तमान में कुल 5 वैक्सीन ट्रायल अपने अंतिम चरण में पहुंचे हैं जो इससाल के अंत तक या अगले साल के शुरुआती महीनों में वैक्सीन बना लेंगे। इस खबर के बाद से ही वैक्सीन की संभावित कीमत का अंदाजा लगाना शुरू हो गया। एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अग्रणी वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने एक सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन को 32 से 37 डॉलर प्रति डोज बेचने का करार किया है। चूंकि ये कीमतें फिलहाल छोटे ऑर्डर के लिए हैं अमरीकार में इनकी लागत कम हो सकती है।डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर नजर रखने वाली वेबसाइट ‘गुड आरएक्स की मानें तो इस वैक्सीन की तुलना मौसमी फ्लू वैक्सीन से कर सकते हैं जिसकी सामान्य कीमत 67 डॉलर प्रति डोज़ (अमरीका में) तक होती है। हालांकि, फार्मास्युटिकल कंपनियां वैक्सीन बनाने के दौरान आई कुल लागत वसूलने की योजना बना रही हैं।
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