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कोरोना अपडेट: मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन ने बुजुर्गों में एंटीबॉडीज बनाईं, वैक्सीन की सफलता का दावा

अमरीकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन के बुजुर्गों पर किए हाल ही के एक ट्रायल परीक्षण में वैक्सीन ने शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण किया जो वायरस के संक्रमण से लडऩे में मदद करेगी।

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जयपुर

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Mohmad Imran

Aug 27, 2020

कोरोना अपडेट: मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन ने बुजुर्गों में एंटीबॉडीज बनाईं, वैक्सीन की सफलता का दावा

कोरोना अपडेट: मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन ने बुजुर्गों में एंटीबॉडीज बनाईं, वैक्सीन की सफलता का दावा

अपने फेज-1 के ट्रायल में अमरीकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना (Moderna) की बनाई कोरोनवायरस वैक्सीन (Corona Vaccine) ने ट्रायल में शामिल बुजुर्गों के शरीर में एंटीबॉडी (Antibody) का निर्माण किया जिन्होंने वायरस को बेअसर करने में कामयाबी भी दिखाई। कंपनी ने अपने अधिकारिक बयान में कहा कि 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में एंटीबॉडी का स्तर युवाओं की तुलना में अधिक पाया गया। मॉडर्ना के शुरुआती चरण के परीक्षण के इन परिणामों में वृद्ध समूह के 20 लोगों के डेटा शामिल हैं जिन्हें बुधवार को यूएस सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की सलाहकार समिति ने पेश किया था। टीकाकरण के इस परीक्षण के निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बुजुर्गोंं का कमजोर शरीर अक्सर युवाओं की तुलना में किसी भी टीके के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देता हैं। मॉडर्ना के वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण में वैक्सीन की उसी खुराक का उपयोग किया जो अब तक अंतिम चरण के परीक्षण में अन्य वॉलंटीयर्स को दी जा रही है। मॉडर्ना का कहना है कि वैक्सीन की इस खुराक ने आमतौर पर वायरस से उबरने वाले लोगों की तुलना में एंटीबॉडी के उच्च स्तर का उत्पादन किया है। मॉडर्ना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन बैंसेल ने कहा कि इस तरह मॉडर्ना वैक्सीन कोरोना वायरस से लडऩे में सक्षम अभी तक की सबसे सफल वैक्सीन बनने के और करीब पहुंच गई है। वृद्ध लोगों में उच्चस्तर के एंटीबॉडी का बनना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी है।

कैसे काम करती है मॉडर्ना की वैक्सीन
दरअसल, मॉडर्ना कंपनी की बनाई यह वैक्सीन मैसेंजर आरएनए (Messanger RNA) नाम के जेनेटिक मटेरियल (Genetic Material) का उपयोग करती है। यह जेनेटिक मटेरियल शरीर के ऊतक (Tissue) को वायरस प्रोटीन बनाने के निर्देश देता है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को चार्ज करता है। बैंसेल ने बताया कि टीके को बायोडिग्रेडेबल कोटिंग्स के लिए आधुनिक रूप से विकसित किया गया है ताकि किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स को सीमित करते हुए मैसेंजर आरएएनए का उच्च स्तर पर निर्माण कर सके। वहीं वैक्सीन ने संक्रमित व्यक्ति में ठंड लगना, थकान महसूस होना, बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द सहित अन्य साइड इफेक्ट्स के कोई भी लक्षण नहीं दिखाए हैं। अंतिम परीक्षण में वॉलंटीयर्स को वैक्सीन की 100 माइक्रोग्राम की खुराक दी गई थी। बैंसेल ने कहा कि सितंबर तक तीसरे चरण के परीक्षण में सभी 30 हजार वॉलंटीयर्स को वैक्सीन की खुराक देने के लिए मॉडर्ना पूरी तरह से तैयार है। कंपनी ने 21 अगस्त को कहा था कि उसके पास पहले से ही 13 हजार से अधिक वॉलंटीयर्स वैक्सीन के परीक्षण के लिए पंजीकृत हो चुके हैं।

मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करेंगे रिजल्ट
बैंसेल ने कहा कि मॉडर्ना ने तय किया है कि वह अपने सभी वैक्सीन परीक्षण डेटा को एक प्रमुख मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करेगी ताकि डॉक्टर सार्वजनिक उपयोग के लिए वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता के बारे में पूरी तरह से निश्चिंत हो जाएं। उन्होंने कहा कि कंपनी उच्चतम गुणवत्ता वाले डेटा प्रकाशित करना चाहती है ताकि नागरिकों को उनकी वैक्सीन की तकनीक और गुणवत्ता पर पूरा भरोसा हो जाए। कंपनी ने इससे पहले भी एक प्रारंभिक चरण के परीक्षण का डेटा प्रकाशित किया था। इस डेटा में दिखाया गया था कि वैक्सीन की डोज ने युवाओं में एंटीबॉडीज का निर्माण कर कोरोनावायरस को बेअसर कर दिया है। कंपनी का कहना है कि बुजुर्गों में वेक्सीन के बाद एंटीबॉडीज का बनना इसलिए अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित वे ही हुए हैं।