- सही तकनीक : ग्लूट वर्कआउट करते समय सही तकनीक का पालन करें। गलत तकनीक से चोट लग सकती है।
- विविधता: केवल एक या दो एक्सरसाइज पर निर्भर न रहें। डेडलिफ्ट्स,. लंजेस, और हिप थ्रस्ट्स शामिल करें।
- वेट ट्रेनिंग: अपने वर्कआउट में वजन डालने की कोशिश करें।
- रेंज ऑफ मोशन: रेंज ऑफ मोशन का पालन करें। इससे मांसपेशियों को पूरी तरह से काम करने का मौका मिलता है।
- रेस्ट और रिकवरी : मांसपेशियों को ठीक होने का समय देना महत्त्वपूर्ण है। ताकि ग्लूट्स को रिकवरी का पूरा मौका मिल सके।
हिप थ्रस्ट : एक बेंच पर पीठ को टिकाएं और बारबेल को हिप्स पर रखें। पैरों को कंधे की चौड़ाई पर रखकर हिप्स को ऊपर उठाएं। ग्लूट्स को सिकोड़ें। फिर धीरे-धीरे हिप्स को नीचे लाएं और दोहराएं।
लंजेस: एक पैर को आगे बढ़ाएं और घुटने को 90 डिग्री तक मोड़ें। पीछे के घुटने को धीरे-धीरे नीचे लाएं और फिर आगे के पैर को वापस खींचें।
साइड लंजेस : साइड लंजेस करके ग्लूट्स पर ध्यान केंद्रित करें।
बुल्गेरियन स्प्लिट स्क्वाट्स : एक पैर को पीछे की ओर उठाकर स्क्वाट्स कर सकते हैं। ध्यान रहे इन व्यायामों को करने में ट्रेनर की मदद अवश्य लेनी चाहिए।