दरअसल स्वास्थ्य अधिकारियों ने अभिभावकों को चेतावनी देते हुए कहा है कि तीन साल से छोटे बच्चों के लिए खुली हवा में प्रोपर तरीके से सांस लेना जरूरी है। मुंह पर कपड़ा या रुमाल बांधना, फेस मास्क लगाना या अन्य तरीकों से संक्रमण से बचाने के लिए चेहरा ढकना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है। पीएचई के मुख्य नर्स ऑफ स्टाफ प्रो. विव बेनेट का कहना है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को यदि मास्क पहनाया जाता है तो उनका दम घुट सकता है सांस लेने में तकलीफ होने से उनकी जान को भी खतरा हो सकता है।
शोध के निष्कर्षों के हवाले से वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों की श्वांस नली बहुत नाजुक होती है। फेस मास्क से मुंह, नाक और चेहरे का बड़ा हिस्सा ढक जाता है। इससे उन्हें प्रोपर तरीके से सांस लेने और छोडऩे में परेशानी हो सकती है। इतना ही ऐसा न कर पाने के कारण उनका दम भी घुट सकता है या सांस संबंधी अन्य परेशानियां हो सकती हैं। नेशनल हेल्थ सर्विस का कहना है कि जो बच्चे मुंह और नाक दोनों से सांस लेते हैं, उनके लिए तो यह कंडीशन और भी ज्यादा खतरनाक है। ऐसी स्थिति में छोटे बच्चों को मास्क पहनाने से बचना चाहिए।
अक्सर अभिभावक बच्चों की सुरक्षा और महामारी के दबाव में इतने ज्यादा हैल्थ कॉन्शियस (Health Concious) हो जाते हैं कि वे बच्चों के लिए सही चीज का चुनाव करना भी भूल जाते हैं। कोरोना संक्रमण में भी ऐसा हो रहा है। ऐसे मास्क बच्चों को कभी भी न पहनाएं जिन्हें वे स्वयं न उतार पाएं। ब्रिटेन के डॉक्टरों का कहना है कि जो बच्चा मास्क खुद न उतार पाए उस परिस्थिति में दम घुटने या सांस न ले पाने के दौरान उसके लिए जान का जोखिम और बढ़ जाता है। इसलिए बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे मास्क चुनें जो आसानी से पहने और उतारे जा सकें। बच्चों को भी इसकी ट्रेनिंग दें। छोटे बच्चों के लिए फेस शील्ड या प्लास्टिक के मॉडिफाई फेस कवर ज़्यादा अच्छे विकल्प हैं।
पीएचई के अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की जिद के आगे पिघलने की जरुरत नहीं है। महामारी के इस दौर में सार्वजनिक स्थानों और बिना अत्यावश्यक काम के सिर्फ तफरीह के लिए अपने तीन साल से कम उम्र के बच्चों को वायरस के बीच घर से बाहर लेकर जाना बचकाना हरकत है। संक्रमण से बच्चों को से बचाने के लिए उन्हें घर में ही रखें। अगर बच्चे में कोरोना के लक्षण हैं या बीमार है तो जांच कराएं। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) कमजोर होती है। इस कारण वे जल्दी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।