इस गंभीर बीमारी का शिकार बना देगा मछली का तेल वाला कैप्सूल, लेने से पहले जान ले रिस्क
मछली का तेल (Fish oil) ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3 fatty acids) से भरपूर होता है, जिसे दिल (Heart) के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन नियमित रूप से मछली का तेल (Fish oil) का सेवन करने से दिल की बीमारी (Heart disease) और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
मछली का तेल (Fish oil) ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3 fatty acids) से भरपूर होता है, जिसे आम तौर पर दिल (Heart) के लिए अच्छा माना जाता है. लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी में चौंकाने वाली बात सामने आई है. इस अध्ययन के अनुसार, नियमित रूप से मछली का तेल लेने से दिल की बीमारी (Heart disease) और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.
चीन, ब्रिटेन और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने मिलकर ये अध्ययन किया. उन्होंने 415,737 लोगों (55% महिलाएं) के स्वास्थ्य का विश्लेषण किया. इन लोगों की उम्र 40 से 69 साल के बीच थी और ये लोग नियमित रूप से फैटी और गैर-फैटी मछली तथा मछली का तेल खाते थे.
मछली के तेल के सेवन से दिल की सेहत पर असर Effect of fish oil consumption on heart health
इन लोगों का सर्वेक्षण 2006 से 2010 के बीच किया गया था. इसके बाद मार्च 2021 तक या इनकी मृत्यु तक, जो भी पहले हो, इनके मेडिकल रिकॉर्ड पर नज़र रखी गई.
जिन लोगों को पहले से दिल की बीमारी (Heart disease) नहीं थी, उनमें नियमित रूप से मछली का तेल लेने से दिल की धड़कन अनियमित होने (एट्रियल फाइब्रिलेशन) का खतरा 13% ज्यादा पाया गया. साथ ही स्ट्रोक का खतरा भी 5% बढ़ गया.
मछली का तेल लेने से दिल का दौरा, स्ट्रोक या हार्ट फेलियर होने का खतरा
Fish Oil Supplements Linked to Increased Heart Disease Risk अध्ययन में ये भी पाया गया कि स्वस्थ रहने वाले लोगों में मछली का तेल लेने से दिल का दौरा, स्ट्रोक या हार्ट फेलियर होने का खतरा 6% ज्यादा बढ़ जाता है. खासकर महिलाओं और धूम्रपान न करने वालों में ये खतरा और भी ज्यादा पाया गया.
लेकिन जिन लोगों को पहले से दिल की बीमारी (Heart disease) है, उनके लिए ये परिणाम थोड़े अलग हैं. ऐसे लोगों में नियमित रूप से मछली का तेल लेने से एट्रियल फाइब्रिलेशन से दिल का दौरा पड़ने का खतरा 15% कम हो जाता है. साथ ही हार्ट फेलियर से मृत्यु का खतरा भी 9% कम हो जाता है.
यह भी पढ़ें – Heart Attack से बचाव के आसान उपाय अध्ययन में ये भी पाया गया कि उम्र, लिंग, धूम्रपान, गैर-फैटी मछली का सेवन, हाई ब्लड प्रेशर और स्टेटिन व ब्लड प्रेशर कम करने वाली दवाओं के इस्तेमाल से भी नतीजों पर असर पड़ता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी है, यानी केवल निरीक्षण पर आधारित अध्ययन है. इससे कारणों के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता. उन्होंने आगे चलकर और अध्ययन करने की बात कही है ताकि मछली के तेल के प्रभाव को अच्छे से समझा जा सके.
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