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सावधान! कोरोना वायरस हवा में मौजूद धूलकणों से भी फैल सकता है

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के हालिया शोध में सामने आया कि छींकते और बोलतेसमय निकलने वाले ड्रॉपलेट्स कोरोना वायरस को स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचाने के जिम्मेदार नहीं है बल्कि हवा में मौजूद धूलकण की सतह पर भी यह वायरस चिपक सकता है और सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर सकता है।

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जयपुर

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Mohmad Imran

Aug 19, 2020

सावधान! कोरोना वायरस हवा में मौजूद धूलकणों से भी फैल सकता है

सावधान! कोरोना वायरस हवा में मौजूद धूलकणों से भी फैल सकता है

कोरोना वायरस कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण ने हमारे सामने सालों चलने वाला संघर्ष ला खड़ा किया है। सावधानी और सुरक्षा ही कोरोना वायरस से हमारी जान बचा सकता है। लेकिन वायरस के कुछ हफ्तों बाद ही और ज्यादा घातक और म्यूटेशन के चलते इसे हरा पाना और मुश्किल हो गया है। ऐसे में वायरस से जुड़ी हर जानकारी के प्रति सचेत रहना ही हमारी सुरक्षा को निचित करता है। ऐसी ही एक नई जानकारी मिली है अमरीका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (UNIVERSITY OF CALIFORNIA) से। दरअसल कोरोना वायरस एक इन्फ्लुएंजा वायरस ही है जो सांस लेते, बात करते या छींकते समय निकलने वाले ड्रॉपलेट्स (Droplets) के साथ हम तक पहुंच कर हमें भी संक्रमित कर सकता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है। कैलिफोर्निया विवविद्यालय के प्रोफेसर विलियम रिस्टेनपार्ट ने अपने हाल के शोध के बाद दावा किया है कि कोरोना इन्फ्लूएंजा वायरस (Influenza Virus) हवा में मौजूद बारीक धूलकणों, फाइबर पार्टिकल्स और कार्बन जैसे ही अन्य सूक्ष्य कणों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकता है।

अब तक नहीं मानी थी ऐसी थ्योरी
प्रोफेसर विलियम रिस्टेनपार्ट ने बताया कि यह बहुत ही हैरान करने और डराने वाली बात है लेकिन ऐसा संभव है। अब तक दुनिया भर के वायरस विज्ञानी और महामारी विशेषज्ञ यही मानते आ रहे थे कि कोरोना का नोवेल कोविड-19 वायरस वायु-जनित प्रसार श्वसन डॉपलेट से होता है जो खांसने, छींकने, वार्तालाप के दौरान या बहुत करीब होने पर सांस के क्षरा भी एक दूसरे तक पहुंच सकता है। इस शोध में उन्होंने गौर किया कि धूल के माध्यम से कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर अब नए सिरे से जांच करने की जरुरत होगी। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित शोध के नतीजोंमें कहा गया है कि इन्फ्लुएंजा के वायरस के बारे में माना जाता है कि यह विभिन्न रास्तों के जरिए शरीर और श्वसन तंत्र तक पहुंच सकता है। इस शोध से कुछ सप्ताह पूर्व प्रकाशित हुए हवा से कोरोना फैलने के दावों को भी बल मिलता है, हालांकि डब्ल्यूएचओ नेउस थ्योरी को नकार दिया था। कोरोना वायरस इनकेअलावा दूसरी वस्तुएं जैसे दरवाजे के हैंडल या इस्तेमाल किए गए टिश्यू पेपर से भी फैल सकता है।

क्या भारत में है '10 गुना' ज्यादा घातक कोरोना स्ट्रेन
हाल ही मलेशिया में एक नए तरह का कोरोना वायरस यानी वायरस का नया स्ट्रेन मिला है, जिसका नाम D614G है। मलेशिया की सरकार ने चेतावनी दी है कि इस प्रकार का कोरोना वायरस बहुत तेज़ी से फैल सकता है क्योंकि यह पूर्वके कोरोना वायरस की तुलना में 10गुना ज्यादा घातक और संक्रामक है। मलेशियाई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस कोरोना के वायरस के म्यूटेशन (Gene Mutation) यानी जीन में बदलाव होने से ही बना है। भारत के लिए चिंता की बात सह है कि इस नए वायरस स्ट्रेन (New Virus Strain) का एक संक्रमित रोगी हाल में तमिलनाडु (Tamilnadu) का एक रेस्तरां मालिक जो सिवगंगई से मलेशिया लौटा व्यक्ति संक्रमित पाया गया है। जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि वह खतरनाक D614G से संक्रमित है।

लेकिन बिलकुल नया म्यूटेशन नहीं है
वैज्ञानिक यह भी कह रहे हें कि यह वायरस एकदम नया कोविड-19 वायरस नहीं है, बल्कि यूरोप, उत्तरी अमरीका और एशिया के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का ये म्यूटेशन पहले भी नजर आ चुका है। D614G म्यूटेशन वाले कोरोना संक्रमण के फैलने के बारे में जुलाई के अंतिम सप्ताह में ही चल गया था। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वैज्ञानिकों को फरवरी में ही इसका पता चल गया था कि कोरोना वायरस में तेज़ी से म्यूटेशन हो रहा है और वो यूरोप और अमरीका में फैल रहा है। हालांकि दुनिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ये कहते हुए राहत दी है कि अब तक इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि वायरस में बदलाव के बाद वो और घातक हो गया है।