अब तक नहीं मानी थी ऐसी थ्योरी
प्रोफेसर विलियम रिस्टेनपार्ट ने बताया कि यह बहुत ही हैरान करने और डराने वाली बात है लेकिन ऐसा संभव है। अब तक दुनिया भर के वायरस विज्ञानी और महामारी विशेषज्ञ यही मानते आ रहे थे कि कोरोना का नोवेल कोविड-19 वायरस वायु-जनित प्रसार श्वसन डॉपलेट से होता है जो खांसने, छींकने, वार्तालाप के दौरान या बहुत करीब होने पर सांस के क्षरा भी एक दूसरे तक पहुंच सकता है। इस शोध में उन्होंने गौर किया कि धूल के माध्यम से कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर अब नए सिरे से जांच करने की जरुरत होगी। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित शोध के नतीजोंमें कहा गया है कि इन्फ्लुएंजा के वायरस के बारे में माना जाता है कि यह विभिन्न रास्तों के जरिए शरीर और श्वसन तंत्र तक पहुंच सकता है। इस शोध से कुछ सप्ताह पूर्व प्रकाशित हुए हवा से कोरोना फैलने के दावों को भी बल मिलता है, हालांकि डब्ल्यूएचओ नेउस थ्योरी को नकार दिया था। कोरोना वायरस इनकेअलावा दूसरी वस्तुएं जैसे दरवाजे के हैंडल या इस्तेमाल किए गए टिश्यू पेपर से भी फैल सकता है।
क्या भारत में है ’10 गुना’ ज्यादा घातक कोरोना स्ट्रेन
हाल ही मलेशिया में एक नए तरह का कोरोना वायरस यानी वायरस का नया स्ट्रेन मिला है, जिसका नाम D614G है। मलेशिया की सरकार ने चेतावनी दी है कि इस प्रकार का कोरोना वायरस बहुत तेज़ी से फैल सकता है क्योंकि यह पूर्वके कोरोना वायरस की तुलना में 10गुना ज्यादा घातक और संक्रामक है। मलेशियाई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस कोरोना के वायरस के म्यूटेशन (Gene Mutation) यानी जीन में बदलाव होने से ही बना है। भारत के लिए चिंता की बात सह है कि इस नए वायरस स्ट्रेन (New Virus Strain) का एक संक्रमित रोगी हाल में तमिलनाडु (Tamilnadu) का एक रेस्तरां मालिक जो सिवगंगई से मलेशिया लौटा व्यक्ति संक्रमित पाया गया है। जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि वह खतरनाक D614G से संक्रमित है।
लेकिन बिलकुल नया म्यूटेशन नहीं है
वैज्ञानिक यह भी कह रहे हें कि यह वायरस एकदम नया कोविड-19 वायरस नहीं है, बल्कि यूरोप, उत्तरी अमरीका और एशिया के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का ये म्यूटेशन पहले भी नजर आ चुका है। D614G म्यूटेशन वाले कोरोना संक्रमण के फैलने के बारे में जुलाई के अंतिम सप्ताह में ही चल गया था। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वैज्ञानिकों को फरवरी में ही इसका पता चल गया था कि कोरोना वायरस में तेज़ी से म्यूटेशन हो रहा है और वो यूरोप और अमरीका में फैल रहा है। हालांकि दुनिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ये कहते हुए राहत दी है कि अब तक इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि वायरस में बदलाव के बाद वो और घातक हो गया है।