50 वर्ष की उम्र के बाद से पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि बढऩे लगती है। सर्दी का मौसम सिम्पैथेटिक नर्वस को उत्तेजित करता है। यह स्थिति प्रोस्टेट की मांसपेशियों में संकुचन को बढ़ा सकती है, जिनमें ग्रंथि अधिक बढ़ जाती है और उनके लक्षण दिखने लगते हैं। सामान्य दिनों में जिनमें लक्षण नहीं दिखते हैं उनमें भी सर्दी से लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे लोगों को कुछ विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
50 वर्ष की उम्र के बाद से पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि बढऩे लगती है। सर्दी का मौसम सिम्पैथेटिक नर्वस को उत्तेजित करता है। यह स्थिति प्रोस्टेट की मांसपेशियों में संकुचन को बढ़ा सकती है, जिनमें ग्रंथि अधिक बढ़ जाती है और उनके लक्षण दिखने लगते हैं। सामान्य दिनों में जिनमें लक्षण नहीं दिखते हैं उनमें भी सर्दी से लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे लोगों को कुछ विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
प्रोस्टेट बढऩे के लक्षण
दिन में 8-10 और रात में कई बार यूरिन जाना, खुलकर यूरिन न होना, यूरिन के बाद फिर यूरिन जाने जैसा महसूस होना, यूरिन करते समय तेज दबाव या दर्द महसूस होना, यूरिन नली में दर्द होना, कई बार ब्लैडर ज्यादा भरने से यूरिन में खून आना या यूरिन में दुर्गंध आना आदि।
कैसे करें बचाव
अगर प्रोस्टेट ग्रंथि बढऩे के लक्षण दिख रहे हैं तो अपने डॉक्टर को दिखाकर इलाज लें। इसके साथ ही दिनचर्या अच्छी रखें। नियमित व्यायाम करें।
शाम छह-सात बजे तक खाना आदि खा लें और पानी पी लें। इसके बाद से लिक्विड वाली चीजें लेने से बचें।
रात में गर्म तासीर वाली चीजें जैसे कि चाय-कॉफी या मिर्च-मसालेदार व गर्म चीजें जैसे दूध भी लेने से बचें। इनसे ब्लैडर की सेंसिविटी बढ़ती और यूरिन ज्यादा आता।
सोने से पहले टॉयलेट जाएं और यूरिन करने के बाद ही सोएं।
जिनमें लंबे समय से यह दिक्कत होती है उनके गुर्दे खराब भी होने लगते हैं। क्रिएटिनिन लेवल बढ़ जाता है। ऐसे लोग डाइट में पोटैशियम वाली चीजें कम खाएं।
जिन्हें रात में ज्यादा यूरिन बन रही है उन्हें अपने हार्ट का भी चेकअप करवा लेना चाहिए। हार्ट डिजीज में भी ऐसा होता है।
अधिक तनाव और कोई नशा आदि करने से भी बचें।
बिना डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक्स व पेनकिलर आदि न लें।
पानी कम से कम 2-3 गिलास जरूर पीएं। हर तीन घंटे से यूरिन जाएं।