प्याज, हरी-काली मिर्च भी सहायक
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास के शोधकर्ताओं के इस शोध ने बताया कि हल्दी और करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की नई रोशनी दिखाई है। अध्ययन से पता चला कि करक्यूमिन के अलावा कुछ शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि प्याज और ग्रीन टी में पाए जाने वाले क्वेरसेटिन और काली और हरी मिर्च में पाए जाने वाले पाइपरजीन जैसे तत्व भी कक्र्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाते हैं।
शोध इसलिए है महत्त्वपूर्ण
वैज्ञानिकों ने करक्यूमिन को कैंसररोधी होने की क्षमता और विभिन्न कैंसर कोशिकाओं में एपोप्टोसिस को सक्रिय करने की क्षमता के कारण एक एंटी-कैंसर एजेंट माना जाता है। वहीं एपोप्टोसिस को केंसर सैल्स को खत्म करने के लिए जाना जाता है और यही वजह है कि पारंपरिक रूप से कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। शोधकर्ताओं ने विश्लेषण के लिए संबंधित और विविध रोगी समूहों के आइसोटाइप नियंत्रण का उपयोग किया। उन्होंने ल्यूकेमिक कोशिकाओं में ट्राईल पाथवे को संशोधित करने के लिए करक्यूमिन की क्षमता की जांच की।
ल्यूकेमिया के इलाज में भी कारगर
करक्यूमिन के साथ संयोजन में ट्रेल ल्यूकेमिया के उपचार और प्रबंधन के लिए एक प्रभावी चिकित्सीय रणनीति हो सकती है। शोधकर्ताओं ने एक एकल एजेंट का उपयोग करने पर प्राथमिक ल्यूकेमिक कोशिकाओं में ट्रेल की मामूली चिकित्सीय दक्षता दिखाई दी। इसके विपरीत, जब करक्यूमिन के साथ उपयोग किया गया तब यह रोगी के नमूनों में से अधिकांश में महत्वपूर्ण सुधार दिखा रहा था। इसलिए शोधकर्ताओं ने कहा कि सबसे अच्छी रणनीति अन्य एंटी-कैंसर एजेंटों के साथ ट्रेल को मिलाना है। नतीजा यह होता है कि यह संयोजन प्रतिरोध तंत्र को बायपास करेगा और इसलिए, ट्राईल-एपोप्टोसिस के लिए कैंसर कोशिकाओं को ज्यादा संवेदनशील बनाकर ट्रेल प्रक्रिया के द्वारा उसे खत्म करने में मदद करता है।