स्वास्थ्य

IVF Experiment : गजब! 3 लोगों के DNA को मिलाकर 8 बच्चे जन्में, जानिए क्या है ये आईवीएफ का नया एक्सपेरिमेंट

8 healthy Babies Born in UK Using DNA : क्या आप जानते हैं कि अब ऐसे बच्चे भी पैदा हो रहे हैं जिनमें तीन लोगों का डीएनए है? जी हां यह कोई विज्ञान फिक्शन नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक सच्चाई है। हाल ही में ब्रिटेन में 8 ऐसे स्वस्थ बच्चों का जन्म हुआ है।

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Jul 17, 2025
IVF Experiment 8 healthy Babies Born in uk Using DNA (फोटो सोर्स : Freepik)

IVF Experiment : क्या आपने कभी सोचा है कि एक बच्चे में तीन लोगों का डीएनए हो सकता है? सुनने में शायद अजीब लगे, पर ये अब हकीकत बन चुका है। हाल ही में ब्रिटेन में 8 ऐसे नन्हे-मुन्नों का जन्म हुआ है जिनके डीएनए में उनके माता-पिता के साथ-साथ एक तीसरे डोनर का भी अंश है। ये उन परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे हैं।

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IVF Experiment : क्या है ये कमाल की तकनीक?

हमारे शरीर की सारी जानकारी डीएनए में छिपी होती है। ज्यादातर डीएनए कोशिका के केंद्रक (nucleus) में होता है और हमें माता-पिता से मिलता है। पर एक और डीएनए होता है जिसे माइटोकॉन्ड्रिया डीएनए कहते हैं। ये माइटोकॉन्ड्रिया हमारी कोशिकाओं को ऊर्जा देते हैं। अगर इनमें कोई खराबी आ जाए तो बच्चों में गंभीर बीमारियां हो सकती हैं जैसे मांसपेशियों में कमजोरी या अंगों का ठीक से काम न करना।

पहले आईवीएफ (IVF) यानी टेस्ट-ट्यूब बेबी तकनीक से इन बीमारियों का पता लगाने की कोशिश की जाती थी। इसमें अंडे और स्पर्म को लैब में मिलाकर भ्रूण बनाते हैं और फिर उसे मां के गर्भ में डाल देते हैं। पर कई बार इन बीमारियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता था।

अब वैज्ञानिकों ने एक नई तरकीब निकाली है। इसमें मां के अंडे या भ्रूण से अच्छी आनुवंशिक जानकारी को निकालकर एक डोनर के अंडे में डाला जाता है। इस डोनर के अंडे में स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं लेकिन उसका बाकी डीएनए हटा दिया जाता है। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि बच्चे में मम्मी-पापा के डीएनए के साथ-साथ डोनर के माइटोकॉन्ड्रिया का भी थोड़ा सा डीएनए होता है। ये डोनर का डीएनए बच्चे के कुल डीएनए का 1% से भी कम होता है इसलिए इससे बच्चे के रंग-रूप या स्वभाव पर कोई असर नहीं पड़ता। इसे ऐसे समझें जैसे किसी को ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जाए तो नया खून आता है पर इंसान नहीं बदलता।

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दुनिया भर में उम्मीदें और आगे की राह

इस नई तकनीक से 2023 में पहले बच्चों के जन्म की खबर आई थी और अब ब्रिटेन में 8 और स्वस्थ बच्चों के जन्म की पुष्टि हुई है। ये मेडिकल साइंस के लिए एक बहुत बड़ी जीत है। इससे उन परिवारों को नई उम्मीद मिली है जिन्होंने माइटोकॉन्ड्रिया से जुड़ी बीमारियों के कारण अपने बच्चों को खोया है। लिज कर्टिस, जिनकी बेटी लिली की ऐसी ही बीमारी से मौत हो गई थी अब ऐसे परिवारों की मदद करती हैं। उनके लिए ये तकनीक अंधेरे में एक रोशनी जैसी है।

हालांकि, कुछ लोग इस तकनीक को लेकर चिंतित भी हैं क्योंकि अभी इसके लंबे समय तक के प्रभावों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। अमेरिका जैसे कई देशों में अभी इसे कानूनी मंजूरी नहीं मिली है। पर जहां इसकी इजाजत है, वहां ये तकनीक कुछ परिवारों के लिए खुशियां लेकर आ रही है।

ये वाकई विज्ञान का एक बड़ा कदम है जो हमें वंशानुगत बीमारियों से लड़ने और एक स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़ने में मदद करता है। देखते हैं आने वाले समय में ये तकनीक कैसे और कितने परिवारों के जीवन में बदलाव लाती है।

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