
सर्जरी होने के बाद इस बैक्टीरिया का इंफेक्शन होने की आशंका रहती है। इलाज में देरी बीमारी की गंभीरता को बढ़ाती है।
सेल्यूलाइटिस स्किन इंफेक्शन है जो स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से होता है। सर्जरी होने के बाद इस बैक्टीरिया का इंफेक्शन होने की आशंका रहती है। इलाज में देरी बीमारी की गंभीरता को बढ़ाती है।
ऐसे पहचानें
त्वचा का सूजना, लाल हो जाना, प्रभावित हिस्से का चमकदार होना जैसे लक्षण नजर आएं तो चिकित्सक से संपर्क करें। इसके अलावा गंभीर स्थिति पस बढऩे की समस्या सामने आने के साथ दर्द बढ़ता है। इसके मामले बुजुर्गों, मधुमेह रोगी के अलावा उनमें सामने आते हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोरी होती है।
होम्योपैथी में इलाज
सबसे पहले ये देखते हैं कि पस बनना शुरू हुआ है या नहीं। स्थिति देखकर बेलाडोना दवाई देते हैं। इसके अलावा दर्द और जलन अधिक होने पर एपिसमेल दवा दी जाती है। अगर इसके साथ रोगी को १०३-१०४ डिग्री का फीवर है तो पायरोजेनेम मेडिसिन देते हैं। ये दवाएं कई बार मरीज की स्थिति के अनुसार बदली भी जाती हैं। गंभीर स्थिति जैसे पस बढऩे पर दवा से कंट्रोल करते हैं स्थिति अधिक बिगडऩे पर सर्जरी की सलाह दी जाती है।
ये रखें ध्यान
खानपान में हल्की-फुल्की चीजें लें। साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। बर्तन, कपड़े, तौलिया आदि साफ होने चाहिए। जिन्हें अक्सर खांसी-जुकाम की शिकायत रहती है या रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है वे साफ-सफाई का खास ध्यान रखें ताकि संक्रमण से बचा जा सके। जिनकी सर्जरी हुई उन्हें अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। कपड़ों का विशेष ख्याल रखें ये साफ और धुले हुए ही होने चाहिए। बाहर का खाना खाने से बचें। घर का तैयार भोजन ही करें।
सेल्यूलाइटिस त्वचा और अंतर्निहित ऊतकों का संक्रमण होता है। समूह ए स्ट्रेप (स्ट्रेप्टोकोकल) बैक्टीरिया इसका सबसे सामान्य कारण है। कटने, जलने, सर्जिकल कट, या घाव जैसी चोट लगने पर बैक्टीरिया आपके शरीर में प्रवेश करता है।
लक्षण
बुखार और कंपकंपी
सूजी हुई ग्रंथियां या लिम्फ नोड
कष्टदायक, लाल, कोमल त्वचा वाले चकत्ते। त्वचा पर फफोले और पपड़ी हो सकती है।
Published on:
14 Oct 2017 08:15 pm
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