29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उम्र के हिसाब से जानें किसको कितने घंटे सोना चाहिए

स्वस्थ रहने के लिए नींद लेना बहुत जरूरी है। एक स्वस्थ व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर औसतन छह से आठ घंटे सोना जरूरी है। नींद शरीर की एक प्रक्रिया है जिसमें शरीर पूरी तरह आराम की मुद्रा में चला जाता है और शरीर अपने भीतर ऊर्जा एकत्र करता है।

3 min read
Google source verification
sleep, disorder, health, time, men, women, kids, stress, hour

उम्र के हिसाब से जानें किसको कितने घंटे सोना चाहिए

स्वस्थ रहने के लिए नींद लेना बहुत जरूरी है। एक स्वस्थ व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर औसतन छह से आठ घंटे सोना जरूरी है। नींद शरीर की एक प्रक्रिया है जिसमें शरीर पूरी तरह आराम की मुद्रा में चला जाता है और शरीर अपने भीतर ऊर्जा एकत्र करता है। इस दौरान ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, सांस गति, हृदयगति, दिमाग और रक्त प्रवाह सामान्य की तुलना में कम हो जाता है। इसी के तहत भागदौड़ और कामकाज की वजह से थकी हुई मांसपेशी अपनी मरम्मत कर लेती है जिससे अगले दिन व्यक्ति एक नई ऊर्जा के साथ अपना काम करता है।

एक तिहाई जीवन नींद में होता खत्म

एक व्यक्ति के जीवन का एक तिहाई हिस्सा नींद में खत्म हो जाता है। इसी का नतीजा है कि मनुष्य अपने जीवन का दो तिहाई हिस्सा भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ बिना किसी परेशानी के गुजारता है। अगर व्यक्ति सोएगा नहीं तो उसे दूसरे काम करने में बहुत कठिनाई होगी और उसे कई तरह की बीमारियां घेर लेंगी।

उम्र के हिसाबसे आती हैं नींद

एक से डेढ़ साल का बच्चे 15 से 18 घंटे सोता है। इस दौरान उसके शरीर में कुछ हॉर्मोन बनते हैं जो उसका शारीरिक विकास करने के साथ उसके शरीर को मजबूत बनाते हैं। आठ से दस साल की उम्र का बच्चा 9 से 10 घंटे, 10 से 20 साल में 9 से 10 घंटे, 20 से 25 की उम्र में 8 से 9 घंटे जबकि 35 वर्ष के अधिक उम्र का व्यक्ति कम से कम 7 से 8 घंटे सोता है। उम्र के हिसाब से नींद तय समय तक नहीं आती है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है।

कई तरह की होती हैं नींद की बीमारी

नींद संबंधी समस्याएं कई तरह की होती हैं। इसमें नींद न आना, ज्यादा नींद आना, नींद टूट-टूट कर आना, नींद की गुणवत्ता खराब होना यानी सोकर उठने के बाद भी मन भारी भारी लगना नींद संबंधी समस्या के प्रमुख लक्षण हैं। कुछ लोगों को रात में नींद नहीं आती है और दिन में सोते हैं। ये लक्षण ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नीया का है। आयुर्वेद में नींद संबंधी समस्या को अल्प निद्रा, अति निद्रा और अनिद्रा के रूप में बताया है।

अच्छी नींद के लिए इन आदतों को छोड़ें

देर रात तक मोबाइल व इंटरनेट का इस्तेमाल
देर रात तक कंप्यूटर, टी.वी पर फिल्म देखना
देर तक सिगरेट, शराब रात में बैठकर पीना
देर रात तक चैटिंग या फोन पर बात करना
रात के समय अचानक कोई काम शुरू करना

इन तरकीबों को अपनाएं तो आएगी नींद

रात को पैर धोकर बेड पर सोने जाएं
सोने से पहले स्नान करेंगे तो लाभ होगा
पैरों के तलवों में गाय का घी लगाएं
सोते वक्त सांस पर ध्यान केंद्रित करें
सुबह-शाम नियमित दौड़ और जॉगिंग करें

करवट लिटा कर रखें नहीं जान को खतरा

कोई व्यक्ति जब नींद की गोली अधिक मात्रा में ले लेता है तो वो गहरी नींद में चला जाता है। इससे उसकी सांस की गति धीमी हो जाती है। ऐसे में मरीज को करवट लिटाकर रखें ताकि उल्टी या मुंह से थूक निकले तो सांस की नली में न जाए। सांस की नली में किसी तरह का तरल जाने से पीडि़त की अचानक मौत हो सकती है। जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंचना चाहिए।

एलोपैथी में इलाज

नींद संबंधी समस्या के इलाज के लिए न्यूरोलॉजिस्ट, साइक्रेटरिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ और स्लीप मेडिसिन एक्सपर्ट की टीम एक साथ काम करती हैं। इसमें रोगी के नींद संबंधी समस्या जानने के बाद उसको दवा देने के साथ काउंसिलिंग करते हैं। दिनचर्या को सुधारने के लिए कहते हैं। किसी तनाव की वजह से नींद संबंधी समस्या है तो उसका भी निराकरण करते हैं।

आयुर्वेद में इलाज

नींद संबंधी विकार का कारण जानने के बाद निवारण करते हैं। व्यक्ति को रात को सोने के समय कहानी, कथा सुनने के लिए कहा जाता है। साथ में फव्वारे और नदी के बहाव की आवाज सुनने के अलावा धीमी गति में संगीत सुनते-सुनते अच्छी नींद आती है। इसके साथ ही सिरोभ्यंग (लाइट स्कैल्प मसाज) करते हैं। इसके साथ ही कुछ दवाएं नाक से दी जाती है जिससे परेशानी दूर होती है। अश्वगंधा, ब्राम्ही, शंखपुष्पी जैसी औषधियों का प्रयोग परेशानी और रोगी की स्थिति देखने के बाद तय करते हैं।

होम्यापैथी में इलाज

नींद संबंधी समस्या मोटे लोगों को होती है इसलिए उन्हें मोटापा कम करना होगा। तनाव भी नींद न आने का बड़ा कारण है। ऐसे में रोगी के लक्षण और परेशानी के स्तर पर दवा दी जाती है। इसके साथ रोगी को जीवनशैली में सुधारने को कहा जाता है। इसमें फास्ट फूड और रात को सोने से पहले बहुत अधिक मसालेदार और तला भुना खाना खाने से बचना चाहिए।

डॉ. शुभ्रांशु, स्लीप मेडिसिन एक्सपर्ट
डॉ. हरीश भाकुनी, आयुर्वेद विशेषज्ञ
डॉ. वत्सना कसाना, होम्योपैथी विशेषज्ञ