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जानिए…खाने को दवा की तरह खाने के लिए क्यों कहते हैं?

locationजयपुरPublished: Feb 24, 2021 01:51:51 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

आज अधिकांश परिवारों में कोई न कोई सुबह के समय नाश्ते से पहले दवाएं खाता है। जबकि सुबह के समय शरीर को पोषणयुक्त आहार की जरूरत होती है। इसीलिए आयुर्वेद में भी कहा गया है कि यदि खाने को दवा की तरह खाएंगे तो आजीवन निरोगी रहेंगे और दवाओं की जरूरत नहीं होगी।

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क्या, कब और कैसे खाना चाहिए
जब बात शरीर को हेल्दी रखने की आती है तो उसमें हमारी ईटिंग हैबिट्स का बहुत बड़ा हाथ होता है। ऐसे में फिट और हेल्दी रहना है तो आयुर्वेद के अनुसार जानें कि हमें क्या खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और कैसे खाना चाहिए। हम दिनभर में जो भी खाते-पीते हैं, जरूरी नहीं कि वह शरीर के लिए फायदेमंद ही हो। आयुर्वेद में हर चीज के खाने-पीने का समय मौसम व शारीर की प्रकृति के अनुसार तय किया गया है।
आहार के छह रस
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन में 6 रस शामिल होने चाहिए। ये 6 रस हैं- मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), अम्ल (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला)। शरीर की प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्वों का असंतुलन नहीं होता है। कुछ लोग मिली हुई प्रकृति के होते हैं। ऐसे लोगों को अपने भोजन के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की परामर्श से आहार करना चाहिए।

इन चीजों को खाने से बचें

फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड ऑथोरिटी ऑफ इण्डिया (एफएसएसएआइ) की ओर से ईट राइट इंडिया कैम्पेन के तहत तेल, चीनी, नमक थोड़ा कम-थोडा कम खाने को लेकर नारा दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार बदलती हुई दिनचर्या के मध्य नजर हमें खान-पान में इन तीन चीजों तेल, चीनी व नमक का उपयोग दिन-प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा कम करना होगा अन्यथा बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। हम सुबह से शाम तक जो भी कुछ खाते-पीते हैं उनमें मुख्यत: इन्हीं तीनों खाद्य पदार्थों का मिश्रण होता है।

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