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लॉन्ग कोविड क्या है और हम कैसे सुरक्षित रहें?

कोविड से ठीक होने के बाद भी कई लोगों को हफ्तों, महीनों या सालों तक तकलीफें रहती हैं, जिसे लॉन्ग कोविड कहते हैं। इसमें थकान, सांस फूलना, जोड़ों का दर्द, दिमाग का सुस्त होना, पेट की खराबी और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।

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Could JN.1 cause Covid surge in US around Christmas

कोविड का बुखार उतरने के बाद भी अगर हफ्तों या महीनों तक कई परेशानियाँ बनी रहें, तो उसे लॉन्ग कोविड कहते हैं। जोड़ों का दर्द, थकान, सांस फूलना, याददा कमजोर होना, दिल में घबराहट, पेट की खराबी, मासिक धर्म में बदलाव - ये इसके कुछ लक्षण हैं। इसका ठीक कारण पता नहीं, पर हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज वाले लोगों को ज़्यादा खतरा होता है।

इस परेशानी से निपटने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना, हवादार जगहों पर रहना, योग करना और मनोबल बनाए रखना ज़रूरी है।

अभी इसका पूरा पता नहीं है कि लॉन्ग कोविड क्यों होता है, लेकिन जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या पहले से कोई बीमारी होती है, उन्हें ज्यादा खतरा होता है। डॉक्टर दवा, थेरेपी और जीवनशैली में बदलाव के जरिए लॉन्ग कोविड के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

हमें सुरक्षित रहने के लिए 4 ज़रूरी काम करने होंगे:

- मास्क पहनना, दूरी बनाए रखना: नया संक्रमण न हो, इसके लिए सावधानी हटानी नहीं है।
- बीमार लोगों को अलग रखना: इससे बीमारी दूसरों में नहीं फैलेगी।
- टीका लगवाना: टीका लगवाने से बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
- हॉस्पिटल तैयार रखना: डॉक्टरों, दवाइयों, ऑक्सीजन की कमी न हो, इसका ध्यान रखना जरूरी है।
- नए वैरिएंट आने पर घबराने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन सावधानी ज़रूरी है। इसी से हम स्वस्थ रह सकते हैं

सावधानी जरूरी, घबराएं नहीं:

हमें नए वैरिएंट से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सुरक्षा के लिए सावधानी जरूरी है। सरकार को अस्पतालों में दवाइयों, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक रखना चाहिए। नए वैरिएंट की जांच के लिए निगरानी प्रणाली मजबूत करनी चाहिए।