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राई के उपयोग जानकर हैरान रह जाएंगे आप

locationजयपुरPublished: Aug 07, 2020 01:33:47 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

राई का हर भारतीय रसोई में उपयोग किया जाता है। हालांकि कुछ लोग राई और सरसों के बीच बहुत ज्यादा फर्क नहीं कर पाते। आयुर्वेद में राई, राई के तेल और इसके औषधीय गुणों के बारे में काफी विस्तार से बताया गया है।

राई के उपयोग जानकर हैरान रह जाएंगे आप

राई के उपयोग जानकर हैरान रह जाएंगे आप

राई भारतीय रसोई का एक अभिन्न अंग है। लेकिन खाने के अलावा राईके अन्य औशधीय गुण भी है जिनके बारे में हम बहुत कम जानते हैं। खाने में राई को सीधे और तेल के रूप में भी उपयोग किया जाता है। लेकिन इसके औषधीय गुण इसे अन्य बीज वाली फसलों से अलग करते हैं। यह बहुत सी बीमारियों में राहत देने का काम करता है। राई के इस्तेमाल से पेट संबंधी विकार, रक्त संबंधी विकार और खुजली, कुष्ट रोग में भी आराम मिलता है। राई के पत्तों को भी औषधी के रूप में उपयोग किया जा सकता है। वहीं राई का तेल सिर के दर्द, कान के इन्फेक्शन, और कफ-पित्त रोग में भी काम आता है। राई के चिकित्सकीय गुणों के कारण अपच, भूख न लगना, बवासीर और गठिया जैसे रोगों में भी कारगर है। राई मूत्र रोग में भी उपयोगी होती है।
सरसों-राई हैं अलग-अलग
सरसों और राई दिखने में काफी समान होती हैं लेकिन दोनों में बहुत अंतर है। चिकित्सकीय प्रयोग के लिए दो प्रकार की राई का इस्तेमाल किया जाता है-राई और काली राई। भारतीय गृहिणियां राई को सिर्फ मसाले के रूप में ही नहीं बल्कि औषधी के रूप में भी उपयोग करती हैं।
राई के औषधीय गुण
आंखों के रोग में- आंखों की पलकों पर फुंसी होने पर राई के दाने के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से यह ठीक हो जाती है। ऐसे ही खुजली में भी राई का प्रयोग लाभदायक होता है। राई का काढ़ा बनाकर उससे सिर धोने से बाल गिरने बन्द हो जाते हैं तथा सिर की जूंए, फुंसी और खुजली आदि रोग दूर होते हैं।
बगल की गांठ में आराम- अक्सर बगल में होने वाली गांठ को पकाने के लिए गुड़, गुग्गुल और राई को बारीक पीसकर पानी में मिला लें। इसे कपड़े की पट्टी पर लेप कर चिपका दें। गांठ पककर फूट जाती है। इसी प्रकार सिर दर्द में भी राई कारगर इलाज है। अगर आप सिरदर्द से हमेशा परेशान रहते हैं तो राई को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द में लाभ होता है।
जुकाम में दे राहत- राई जुकाम का इलाज भी खूब करती है। इसके लिए 500-750 मिग्रा राई तथा 1 ग्राम शक्कर मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से जुकाम दूर हो जाता है। अगर आपके कान में सूजन है तो इसमें भी राई का इस्तेमाल लाभदायक होता है। राई के आटे को सरसों के तेल या एरंड के तेल में मिलाकर कान के जड़ पर लेप करें। इससे कान के जड़ के आस-पास होने वाली सूजन में लाभ होता है। ऐसे ही कान बहने और कान के घाव में भी राई से लाभ मिलता है।
दांतों दर्द में लाभ- राई को पीसकर गुनगुने जल में मिलाकर कुल्ला करने से दांत का दर्द का ठीक हो जाता है। मसूड़ों के रोग में राई के उपयोग से फायदा होता है। राई के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर मलने से मसूड़ों से सम्बन्धित विकारों में लाभ होता है। सांसों की बीमारी में भी राई से लाभ होता है। इसी प्रकार कफ -दोष में राई से लाभ होता है।
ह्रदय रोगों का इलाज- राई की पत्तियों में कोलेस्ट्रॉल कम करने का गुण पाया जाता है। ये पत्तियां कोलेस्ट्रॉल को कम करके दिल की बीमारियों से बचाव करती हैं। हृदय में कम्पन या दर्द हो, बैचेनी हो या कमजोरी महसूस होती हो तो हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से लाभ होता है। हैजा में भी राई रामबाण का काम करती है। उलटी-दस्त में पेट पर राई का लेप करने से लाभ होता है।
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