सरसों और राई दिखने में काफी समान होती हैं लेकिन दोनों में बहुत अंतर है। चिकित्सकीय प्रयोग के लिए दो प्रकार की राई का इस्तेमाल किया जाता है-राई और काली राई। भारतीय गृहिणियां राई को सिर्फ मसाले के रूप में ही नहीं बल्कि औषधी के रूप में भी उपयोग करती हैं।
राई के औषधीय गुण
आंखों के रोग में- आंखों की पलकों पर फुंसी होने पर राई के दाने के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से यह ठीक हो जाती है। ऐसे ही खुजली में भी राई का प्रयोग लाभदायक होता है। राई का काढ़ा बनाकर उससे सिर धोने से बाल गिरने बन्द हो जाते हैं तथा सिर की जूंए, फुंसी और खुजली आदि रोग दूर होते हैं।
जुकाम में दे राहत- राई जुकाम का इलाज भी खूब करती है। इसके लिए 500-750 मिग्रा राई तथा 1 ग्राम शक्कर मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से जुकाम दूर हो जाता है। अगर आपके कान में सूजन है तो इसमें भी राई का इस्तेमाल लाभदायक होता है। राई के आटे को सरसों के तेल या एरंड के तेल में मिलाकर कान के जड़ पर लेप करें। इससे कान के जड़ के आस-पास होने वाली सूजन में लाभ होता है। ऐसे ही कान बहने और कान के घाव में भी राई से लाभ मिलता है।
ह्रदय रोगों का इलाज- राई की पत्तियों में कोलेस्ट्रॉल कम करने का गुण पाया जाता है। ये पत्तियां कोलेस्ट्रॉल को कम करके दिल की बीमारियों से बचाव करती हैं। हृदय में कम्पन या दर्द हो, बैचेनी हो या कमजोरी महसूस होती हो तो हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से लाभ होता है। हैजा में भी राई रामबाण का काम करती है। उलटी-दस्त में पेट पर राई का लेप करने से लाभ होता है।