जानते हैं इस बारे में-
फिजिकल: किसी प्रकार की चोट लगने, खरोंच, इंफेक्शन, लंबे समय से चल रही बीमारी आदि के कारण।
केमिकल: किसी उत्पाद के शरीर पर बाहरी रूप से लगने या शरीर में जाने से दुष्प्रभाव होने आदि के अलावा किसी दवा का दुष्प्रभाव भी इसमें शामिल है।
पैथोजन: बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी के जरिए। यह खासतौर पर होने वाला कारण है जिसमें मौसम में बदलाव या किसी रोगाणु के कारण यदि मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है तो आसपास में भी यह बढ़ता है।
99 हो तो परेशान न हों…
हमारे शरीर का सामान्य तापमान 98.4 फारेनहाइट होता है। ऐसे में कुछ लोग 99 या 100 पर आते ही घबरा जाते हैं, जो गलत है। अगर स्थिति 100 तक की भी बनती है तो परेशान होने के बजाय पैरासिटामॉल डॉक्टरी सलाह से ले सकते हैं। इसके अलावा हर 15 मिनट में ठंडे पानी की पट्टी और ज्यादा से ज्यादा विटामिन-सी से युक्त फल (मौसमी, संतरा) या सब्जी खाएं।
बुखार दो दिन से अधिक हो तो...
अगर दो दिन से ज्यादा बुखार बना है और आसपास डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के मरीज हैं तो ब्लड टैस्ट कर प्लेटलेट काउंट जरूर करवाना चाहिए। कई बार किसी अन्य कारण जैसे पेट का इंफेक्शन, अपच, यूटीआई, कैंसर आदि से भी बुखार बढ़ सकता है।