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बच्चों को एंटीबायोटिक देने से पहले ध्यान दें

-अमरीका की मेयो क्लिनिक का 14500 बच्चों पर अध्ययन

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Pushpesh Sharma

Jun 24, 2021

बच्चों को एंटीबायोटिक देने से पहले ध्यान दें

बच्चों को एंटीबायोटिक देने से पहले ध्यान दें

छोटी-मोटी तकलीफ में बच्चों को अपने मन से एंटीबायोटिक देना खतरनाक हो सकता है। अमरीका स्थित मेयो क्लीनिक के हालिया अध्ययन में सामने आया कि ऐसे बच्चों में आगे चलकर अस्थमा, एक्जीमा सहित अन्य एलर्जी का सामना करने की आशंका बढ़ जाती है, जिन्हें दो साल से कम उम्र में ही एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। शोधकर्ता 14500 बच्चों की सेहत से जुड़े रिकॉर्ड का जायजा लेने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इनमें से 70 फीसदी को दो साल से कम उम्र से ही एंटीबायोटिक खिलाना शुरू कर दिया गया था। उन्हें कम उम्र में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल और लंबे समय तक परेशान करने वाली बीमारियों (अस्थमा, एक्जीमा, फ्लू, मोटापा, एकाग्रता में कमी, आक्रामता) के खतरे में सीधा संबंध देखने को मिला।

मुख्य शोधकर्ता नाथन ली ब्रेजर के मुताबिक एंटीबायोटिक का निर्माण बैड बैक्टीरिया से मुकाबले से किया गया है। हालांकि, अक्सर ये पेट और आंत में मौजूद गुड बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं, जिससे हानिकारक संक्रमण से लडऩे की शरीर की क्षमता घटती है। एंटीबायोटिक का काम बैक्टीरिया को मारना है। वायरस या फंगस से लड़ाई में इनकी कोई भूमिका नहीं होती। हालांकि, डॉक्टर वायरल संक्रमण के इलाज के लिए भी बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन का सुझाव देते हैं। इससे हानिकारक बैक्टीरिया सुपरबग का रूप अख्तियार कर लेते हैं। यानी उनमें एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।

ये हो सकते हैं खतरे
-बैड बैक्टीरिया के खात्मे के लिए बनी एंटीबॉडी गुड बैक्टीरिया को भी मार गिराती है
-संक्रमण से लडऩे की शरीर की क्षमता घटती है, सुपरबग पनपने का भी होता है खतरा