
Google's AI model
Google's AI model : आज का युग डिजिटल का युग है इसमें जो जितना पारगत होगा वह उतना ही आगे बढ़ जाएगा। इस समय पूरी दुनिया AI की चर्चा चल रही है। इसको लेकर लोगों में चिंता का विषय बना हुआ है कि यह अब लोगों की नौकरी के लिए खतरा है और इसी के साथ गूगल ने एक शोध कर लिया है जिसमें (Google's AI model) इसका AI अब बीमारियों का पता लगाएगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रमुख तकनीकी कंपनियों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है, और अब गूगल एक ऐसा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मॉडल विकसित कर रहा है जो खांसी, छींक, और सूंघने जैसी ध्वनियों के आधार पर बीमारियों की पहचान में सहायता करेगा। इस तकनीक के माध्यम से बीमारियों का निदान करना उतना ही सरल हो जाएगा जितना कि एक वॉयस नोट को रिकॉर्ड करना।
इस बात में कोई दोहराई नहीं है कि स्वास्थ क्षेत्र में इस समय जितनी लूट वची हुई है वह शायद ही किसी और विभाग में हो, स्वास्थ विभाग में लोगों को उनकी मजबूरी के नाम से लूटा जा रहा है। शायद इस तकनीक से इससे निजात मिल सके। गूगल के इस AI मॉडल उद्देश्य खासतौर पर टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) और अन्य श्वसन रोगों के निदान पता लगाने के लिए किया जाएगा। इस तकनीक से स्मार्टफोन के साधारण माइक्रोफोन का उपयोग कर मरीज की खांसी या छींक की ध्वनि से इसका निदान किया जा सकेगा।
मार्च 2024 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी से पता चलता है कि गूगल का यह मॉडल 30 मिलियन ऑडियो रिकॉर्डिंग के अध्ययन पर आधारित है, जिसमें से 10 मिलियन रिकॉर्डिंग तो सिर्फ खांसी की ध्वनियों पर किया गया है। यह मॉडल विभिन्न ध्वनि संकेतों, जैसे खांसी और छींक की आवाज़ों को पहचानकर बीमारियों की जानकारी देगा। गूगल के इस HeAr मॉडल का उपयोग खासतौर पर टीबी जैसी गंभीर बीमारियों के प्रारंभिक निदान में किया जा सकेगा।
गूगल चाहता है कि इसका उपयोग सभी देश कर सके इसलिए गूगल ने इस मॉडल को भारतीय AI स्टार्टअप्स के साथ भी साझा किया है, जो टीबी जैसी बीमारियों के निदान के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। इस तकनीक उपयोग भारत में कारगर साबित होगी क्योंकि यहां टीबी की दर काफी अधिक है और चिकित्सा सुविधाओं की सुलभता सीमित है। इसी के साथ और भी विकासशील देशों में इसका फायदा होगा जहां टीबी की दर बहुत ज्यादा है और चिकित्सा सुविधा कम।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मानना है कि टीबी एक घातक बीमारी है और यदि इसका समय रहते इलाज नहीं किया जाए तो इसमें 50 प्रतिशत मृत्यू दर बढ़ सकती है। उनका कहना है कि इस AI मॉडल से टीबी का निदान जल्दी और सही समय पर किया जा सकेगा, जिससे मरीज को जल्दी इलाज मिलेगा जिससे मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा।
गूगल का यह नया AI मॉडल स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है। टीबी और अन्य श्वसन रोगों का स्मार्टफोन के माइक्रोफोन के जरिए निदान एक बड़ी सफलता होगी। यह तकनीक न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता को बढ़ाएगी, बल्कि निदान की प्रक्रिया को तेज और किफायती भी बनाएगी।
Published on:
12 Sept 2024 03:32 pm
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