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अब नहीं रहेगी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी

हर मेडिकल कॉलेज के लिए पीजी की पढ़ाई अनिवार्य करने का नियम लागू

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Dheeraj Kumar

Apr 05, 2018

Doctor

नई दिल्ली। देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी जल्दी ही दूर हो सकती है। केंद्र सरकार ने सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य कर दिया है कि वे वर्ष 2020-21 के अकादमिक सत्र से एमबीबीएस के साथ ही स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई भी करवाएं। इस संबंध में गुरुवार को अधिसूचना जारी कर दी गई। यह नियम सरकारी और निजी दोनों ही मेडिकल कॉलेजों पर लागू होंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अरुण सिंहल ने 'पत्रिका' से बातचीत में कहा, 'देश में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी को देखते हुए यह फैसला किया गया है। मौजूदा कॉलेजों को 2020-21 तक इसके लिए आवेदन करना होगा। वहां सुविधाओं और अध्यापकों आदि की जांच की प्रक्रिया पहले की ही तरह रहेगी। अगर पहली बार की जांच में वे एमसीआई की मंजूरी पाने में कामयाब नहीं हो पाते हैं तो उन्हें दो साल तक और मौका दिया जाएगा। इसके बावजूद अगर वे पीजी के लिए मंजूरी हासिल नहीं कर पाए तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।'

इस समय एमबीबीएस की जहां 68 हजार सीटें हैं, वहीं एमबीबीएस की सीटें महज 38 हजार ही हैं। जबकि अमेरिका जैसे देश में ठीक उल्टी स्थिति है। वहां पीजी की सीटें दुगनी हैं। दूसरे देशों के डॉक्टर भी पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। जबकि भारत में एमबीबीएस करने के बाद भी अधिकांश डॉक्टर विशेषज्ञता हासिल नहीं कर पाते हैं। इस समय देश में लगभग 8.5 लाख डॉक्टर हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश पीजी नहीं कर पाए हैं। सरकार के ताजा कदम से अगले कुछ वर्षों में पीजी की 10 हजार सीटें बढ़ जाएंगी। जो कॉलेज ऐसा नहीं कर पाएंगे, उनको उनकी मान्यता खत्म कर दी जाएगी। इसी तरह नए मेडिकल कॉलेजों को एमबीबीएस के लिए मान्यता मिलने के तीन साल के अंदर पीजी की पढ़ाई के लिए मंजूरी हासिल कर लेनी होगी। सरकार का मानना है कि उसके इस कदम का सबसे ज्यादा फायदा आम लोगों को मिलेगा क्योंकि अब विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी का सामना उन्हें नहीं करना पड़ेगा।