5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

क्या कोरोना वैक्सीन के वैश्विक वितरण पर कब्जा चाहता है रूस

कोविड-19 वैक्सीन की दौड़ में रूस पश्चिमी देशों को पछाडऩे में जुटा है

3 min read
Google source verification

जयपुर

image

Mohmad Imran

Jul 26, 2020

क्या कोरोना वैक्सीन के वैश्विक वितरण पर कब्जा चाहता है रूस

क्या कोरोना वैक्सीन के वैश्विक वितरण पर कब्जा चाहता है रूस

रूस के स्वास्थ्य अधिकारी एक ओर तो सितंबर तक कोविड-19 (Covid-19 Vaccine) की सफल वैक्सीन बनाने का दावा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनकी खूफिया एजेंसी के लिए काम करने वाले पेशेवर हैकर्स यूके, यूएस और कनाडा में प्रतिद्वंद्वी शोधकर्ताओं की कोरोना रिसर्च चुराने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) भी कोरोना वैक्सीन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। यदि रूस अन्य देशों से पहले एक सफल टीका विकसित कर लेता है तो यह टीके की आपूर्ति और राजनीतिक वर्चस्व में अग्रणी बन सकता है। वहीं हैकर्स का इस्तेमाल कर संवेदनशील कोरोना शोध के डेटा चुराने पर रूसी सरकार के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें ऐसा करने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि देश की अग्रणी फार्मा कंपनियों में से एक आर. फार्म ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) के साथ कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण के लिए एस्ट्राजेनेका पीएलसी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि एस्ट्राजेनेका रूस में वैक्सीन निर्माण के लिए पूरी मदद कर रही है। ऐसे में ब्रिटेन की वैक्सीन रिसर्च चुराने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन की तकनीक देने का समझौता किया है या वैक्सीन के उत्पादन के लिए सीड स्टॉक देने की बात कही है। वहीं कुछ पश्चिमी विशेषज्ञ भी यही मानते हैं कि रूस अपने दम पर सितंबर तक वैक्सीन विकसित करने में सक्षम है।

रिसर्च फर्म ग्लोबलडेटा के फार्मास्युटिकल विश्लेषक पीटर शापिरो का कहना है कि अन्य देशों की तरह रूस भी जानता है कि राजनीतिक वर्चस्व के लिए अन्य देशों से पहले वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन इस बात की भी उम्मीद कम ही है कि रूस में बने टीकों को पश्चिमी देशों में इस्तेमाल की मंजूरी मिलेगी। क्योंकि रूस में टीकों का कोई लंबा इतिहास नहीं है जैसा अमरीका, जापान और पश्चिम के यूरोपीय देशों का है। रूस कभी भी गुणवत्ता वाली दवाओं या टीकों का प्रमुख उत्पादक नहीं रहा है। अमरीका, पश्चिम के यूरोपीय देशों, भारत, जापान और चीन ने कोरोना वैक्सीन के लिए अनुसंधान कार्यक्रमों और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थापना की है। जबकि एस्ट्राजेनेका के साथ वार्ता रूस को ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की खुराक दिलाने का अवसर देती है। अगर वैक्सीन का यह प्रयोग सफल साबित होता है, तो सुरक्षित आपूर्ति के लिए वैश्विक लड़ाई रूस को अन्य संभावित सफल टीकों तक शायद उतना आसान पहुंच न हो।

रूस की यह तथाकथित कोरोना वैक्सीन देश के 26 प्रायोगिक कार्यक्रमों में से एक है। यह एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है जो एक मानव एडेनोवायरस (Normal Cold Virus) पर आधारित है। जिसे SARS-COV-02 के स्पाइक प्रोटीन के साथ जोड़कर एक प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह चीन की कैनसिनो बायोलॉजिक्स द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन के ही समान ही है जिसे कनाडा में परीक्षण किया जाने वाला है और रूस के हैकर्स ने इसी वैक्सीन का डेटा चुराने की कोशिश की थी। कैनसिनो के प्रारंभिक परिणामों से पता चला है कि टीका कुछ लोगों में कम प्रभावी था। रूस में शोधकर्ताओं ने दो अलग-अलग प्रकार के एडेनोवायरस वैक्टर परीक्षण कर रहे हैं। यह टीका रूस में 3 अगस्त को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में हजारों लोगों पर तीसरे चरण के परीक्षणों की शुरुआत करेगा। उप-राष्ट्रपति टटान्या गोलीकावा ने कहा कि रूस 2020 में घरेलू स्तर पर 30 मिलियन और विदेशों में 170 मिलियन खुराक बना सकता है। वहीं पांच देशों ने वैक्सीन के उत्पादन में रुचि व्यक्त की है।