उन्होंने आगे कहा, “अभी तक जितने भी प्रयोग हुए हैं, उनसे प्राप्त आंकड़ों से यही पता चलता है कि यह वैक्सीन दो साल या उससे अधिक समय तक के लिए सुरक्षा प्रदान करेगी।”
इस रूसी वैज्ञानिक के मुताबिक, स्पुतनिक-5 96 फीसदी मामलों में प्रभावी रहा है। बाकी बचे चार प्रतिशत टीकाकृत व्यक्तियों में बहती नाक, खांसी और हल्के बुखार की शिकायत रहेगी, लेकिन फेफड़ा प्रभावित नहीं होगा।