
Brahma Muhurta benefits
Vedic lifestyle and science : वैदिक जीवनचर्या प्रकृति और वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुरूप बनी थी। इसके अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठने से ध्यान की क्षमता बढ़ती है। इस समय का वातावरण शांत एवं सुरम्य होता है जो अध्ययन, अध्यापन, योग एवं ध्यान के लिए उचित समय है। शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शांति के लिए भी यह उत्तम माना गया है।
प्रथम वेद के अनुसार जो मनुष्य ब्रह्म मुहूर्त में जागता है उसकी आयु लम्बी होती है । तम एवं रजोगुण की मात्रा शरीर में कम होती है और सत्व गुण बढ़ते हैं। दिन भर ऊर्जा भी बनी रहती हैं जो काम में मदद करती है।
ब्रह्म मुहूर्त में भ्रमण करने से शरीर में ऊर्जा एवं कान्ति का संचार होता है। सौन्दर्य, बल, विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है। यह आदत व्यक्तित्व को भी बेहतर बनाने में मदद करती है। मानसिक सक्रियता बढ़ती है।
वैदिक परंपरा में सुबह जागने पर तांबे के पात्र में रखा जल पीना शरीर की शुद्धि के लिए लाभकारी माना गया है। इसके बाद टहलने से पाचन क्रिया सक्रिय होती है। करीब 100 गज चलना और फिर शौच जाना भी लाभदायक माना गया है। फिर दांत साफ और स्नान किया जाता है। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देकर ध्यान किया जाता है।
भोजन लेते हुए न गुस्सा करें… भोजन से पहले हाथ-पैर धोने और शांत मन से भोजन करने की परंपरा है। भोजन में छह रस (कड़वा, तीखा, खट्टा, कसैला, मीठा, नमकीन) शामिल करने का नियम है। भोजन के दौरान मोबाइल, टीवी आदि न देखें, न ही क्रोध न करें। इससे भोजन का आनंद भी बढ़ता है।
सूर्यास्त के तीन घटी (एक घटी यानी 24 मिनट) बाद भोजन करके शत-पद यानी 100 कदम चलने की वैदिक परंपरा है। सोते समय सिर पूर्व, पश्चिम या दक्षिण में होना चाहिए। दक्षिण की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए। और हां, सोने से पहले मन में सोचें कि आपको कितने बजे उठना है, आपकी नींद ठीक उसी समय खुल जाएगी। यह आंतरिक घड़ी है, दिनचर्या की लय तय करती है। वैदिक जीवन शैली से हमें यह भी अनूठा फायदा मिलता है।
- जल्दी जागने पर व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता, पाचन शक्ति त्वचा और बालों की कांति सुधरती है। हार्मोनल असंतुलन खत्म होता है।
- एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। सकारात्मक विचार आते हैं और अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
- ब्रह्म मुहूर्त में हमारा वायु मण्डल प्रदूषण रहित होता है। इस समय वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। इसीलिए प्रातःकाल की शुद्ध वायु हमारे तन-मन को स्फूर्ति और ऊर्जा से भर देती है।
- इस समय किए व्यायाम, योग व प्राणायाम शरीर को निरोगी रखते हैं। पक्षियों की चहचाहट से तन-मन प्रफुल्लित होता है।
पत्रिका पैनल
प्रो. रामसिंह चौहान, संस्कृत विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय।
पंडित सतीश चंद्र शास्त्री, जयपुर (संदर्भ: आह्निक सूत्रावलि, यह वैदिक साहित्य का एक भाग है जो दैनिक कार्यों से संबंधित)
Updated on:
01 Apr 2025 04:04 pm
Published on:
31 Mar 2025 03:50 pm
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
