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Stroke : ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को लेकर लैंसेट ने जारी अध्ययन ने चौंका दिया है। स्टडी में पता चलता है कि इसका असर धुम्रपान के समान सामने आया है जो ब्रेन स्ट्रोक के लिए खतरा बन सकता है। यह तब होता है जब दिमाग और इसे कवर करने वाले ऊतकों के बीच खून की नसें फट जाती हैं।
द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन कहता है कि दुनिया भर में स्ट्रोक या आघात लगने से और उससे संबंधित मौतों की घटनाएं काफी बढ़ रही हैं जिसके लिए वायु प्रदूषण, अधिक तापमान और उच्च रक्तचाप तथा शारीरिक निष्क्रियता जैसे चयापचय संबंधी खतरे जिम्मेवार हैं।
इस रिसर्च में भारत भी शामिल था और इसी के साथ अमेरिका, नयूजीलैंड, ब्राजील और यूएई के वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया था। स्टडी में पता चला कि छोटे ठोस कण और तरल कण वायु में प्रदुषण का मुख्य हिस्सा है और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ावा दे रहे है।
अध्ययन के परिणाम दर्शाते हैं कि वायु प्रदूषण ने पिछले 30 वर्षों में स्ट्रोक के मामलों और उससे होने वाली मृत्यु दर में महत्वपूर्ण वृद्धि में योगदान दिया है। वर्ष 2021 में नए स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या एक करोड़ से अधिक हो गई, जो 1990 के बाद से 70 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसके अलावा, स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतों की संख्या 70 लाख से अधिक हो गई है, जिसमें 44 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
इस अध्ययन में स्ट्रोक के लिए 23 जोखिम कारकों की पहचान की गई है। इनमें उच्च रक्तचाप, कणीय पदार्थ वायु प्रदूषण, धूम्रपान, उच्च कोलेस्ट्रॉल और घरेलू वायु प्रदूषण शामिल हैं। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य मीट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान की डॉ. कैथरीन ओ. जॉनसन ने बताया कि इन कारकों से बचाव करके मस्तिष्क स्ट्रोक के जोखिम को 84 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
अध्ययन के सह-लेखक डॉ. जॉनसन ने यह सुझाव दिया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए स्वच्छ वायु क्षेत्रों और सार्वजनिक धूम्रपान पर प्रतिबंध जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने मोटापे और मेटाबॉलिक विकारों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
Updated on:
20 Sept 2024 10:56 am
Published on:
20 Sept 2024 10:50 am
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