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जानिए इन पांच सालों में सौ क्यूसिक प्रति सेकंड कितना घटा पानी का फ्लो

फैक्ट फाइल1. होशंगाबाद-हरदा में करीब 108 किमी नर्मदा की लंबाई2. आठ एमएलडी नर्मदा का पानी नर्मदा में मिल रहा है3. करीब 2 से 3 टन कचरा नदी में फेंका जाता है4. 256 लाख की लागत से बन रहा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

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naramada

जानिए इन पांच सालों में पांच साल में सौ क्यूसिक प्रति सेकंड कितना घटा पानी का फ्लो

होशंगाबाद. अंधाधुंध रेत के उत्खनन से नर्मदा नदी का अस्तित्व संकट में है। प्रदूषण भी बढ़ रहा है। वनस्पतियां और जीव भी खतरे में है। ५ साल में पानी का फ्लो सौ क्यूसिक प्रति सेकेंड घटा है। यह चिंताजनक स्थिति को खुद केंद्रीय जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट बताती है। नदी में पानी का फ्लो सबसे कम वर्ष 2018 में 55.4 क्यूसिक प्रति सेकेंड रहा है। जबकि पिछले साल सबसे अधिक फ्लो वर्ष 2017 में 263.4 क्यूसिक प्रति सेकेंड रहा। इस साल 2019 में नदी में पानी 284.750 मीटर मापा गया। वर्तमान में पानी का फ्लो करीब 104.6 क्यूसेक प्रति सेकेंड रह गया।
निकल आए टीले
नर्मदा नदी में जल स्तर घटने और नदी में कटाव बढऩे से अब उभरे हुए टीले दिखाई देने लगे हैं। प्रति वर्ष इन टापूओं का आकार में वृद्धि हो रही है। आगामी ग्रीष्मकाल में स्थिति और बिगड़ेगी। पानी की धार की दिशा और बहाव में भी भारी कमी आने की संभावनाएं जताई गई है।
बिगड़ी नदी की सेहत
रेत के लगातार अवैध उत्खनन के कारण नदी का कटाव का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। नदी के किनारे से बड़ी मात्रा में रेत उठाने से खाली स्थान पर पानी डायवर्ट हो रहा है। ऐसे में नदी का पानी बड़े क्षेत्र में फैल रहा है। उत्खनन और कटाव ने नदी की शक्ल ही बिगाड़ दी है।
कब-कितना नर्मदा में कितना पानी
वर्ष 2015
तारीख जलस्तर पानी का फ्लो बारिश (वार्षिक)
11 फरवरी 284.६50 196.6 क्यूसेक मी. प्रति सेकंड 1005.1 मिमी.
वर्ष 2016
11 फरवरी 284.500 161.7 क्यूसेक मीटर प्रति सेकंड 1661.5 मिमी.
वर्ष 2017
11 फरवरी 284.7५0 263.4 क्यूसेक प्रति सेकंड 973.6 मिमी.
वर्ष 2018
11 फरवरी 284.३०0 55.4 क्यूसेक प्रति सेकंड 955 मिमी.
वर्ष 2019
11 फरवरी 284.450 110.4 क्यूसेक प्रति मीटर
पांच साल में सौ क्यूसिक प्रति सेकंड घटा पानी का फ्लो
सरकार ने जिले में 108 किलो मीटर के नदी क्षेत्र के किनारों पर नर्मदा पथ बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन यह कागजों में ही बंद हो गई। इसके लिए सरकार ने दूसरी बार कोई फंड ही नहीं दिया। इसके अलावा नर्मदा नदी को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र बनाने का प्रस्ताव भी तैयार किया गया, लेकिन यह भी अधर में चला गया है। जिससे मछलियों, कीट पतंगों, जलीय जीवों व वनस्पतियों का संरक्षण भी नहीं हो पा रहा है।
इनका कहना

नर्मदा संरक्षण के लिए काफी काम किया है, नर्मदा में प्रदूषण का मुख्य कारण उसमें नालों का मिलना भी है। अगर नदी से इसी तरह से अवैध उत्खनन हुआ और भूमि इस तरह से बाहर आती रही तो झीर समाप्त हो जाएगी। जिससे नदी का अस्तित्व खतरे में है।
डॉ. ओएन चौबे, प्राचार्य नर्मदा महाविद्यालय

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नर्मदा नदी का संरक्षण ठीक से नहीं किया गया तो अगले 20 सालों में पानी कि काफी किल्लत होना है। पानी का माप मीटरों में है, जो अंतर है, वो काफी है। नदी के लिए अच्छी बारिश की भी जरुरत है।
विपुल कुमार वर्मा, एसडीओ केंद्रीय जल आयोग