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हनीट्रैप गैंग के सरगना सब इंस्पेक्टर की भी छिनी वर्दी, जानिए पूरा मामला

सब इंस्पेक्टर जयकुमार नलवाया ही था हनीट्रैप गैंग का मास्टर माइंड..मामले में एसआई समेत अब तक चार पुलिसकर्मी बर्खास्त..

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होशंगाबाद. होशंगाबाद के बहुचर्चित हनीट्रैप और ब्लैकमेलिंग के मामले में निलंबित चल रहे सिटी कोतवाली के उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) जयकुमार नलवाया को डीआइजी स्तर की जांच में दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया है। गुरुवार को नलवाया की सेवाएं समाप्त कर दी। इस संबंध में गुरुवार को होशंगाबाद रेंज डीआइजी जगत सिंह ने आदेश जारी कर दिए। इसके पूर्व एसपी संतोष सिंह गौर ने एसडीओपी कार्यालय में पदस्थ पूर्व प्रधान आरक्षक ताराचंद जाटव, कोतवाली की पूर्व प्रधान आरक्षक ज्योति मांझी और पूर्व आरक्षक मनोज वर्मा को सेवा से बर्खास्त कर चुके हैं।

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सब इंस्पेक्टर ही गैंग का सरगना
जांच में पाया गया है कि गैंग का सरगना सब इंस्पेक्टर जयकुमार नलवाया ही है। जो सिटी कोतवाली के समानांतर चार पूर्व कर्मचारियों और आरोपी महिला सुनीता ठाकुर के साथ मिलकर गैंग चला रहा था। ये भी जानकारी मिली है कि नलवाया की गैंग ने करीब एक दर्जन लोगों से ब्लैकमेलिंग कर लाखों रुपए ऐंठ लिए थे। आरोपियों से ठगी के करीब साढ़े सात लाख रुपए जब्त किए गए हैं। मामले में देहात थाना की एक पूर्व उप निरीक्षक एवं आरक्षक पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। वर्तमान में यह उप निरीक्षक जिले के अन्य थाने में पदस्थ है।

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इटारसी में भी विवादस्पद रहा
बर्खास्त सब इंस्पेक्टर जयकुमार नलवाया इटारसी और रामपुरगुर्रा थाना में पदस्थापना के दौरान विवादस्पद रहा है। इसके खिलाफ रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से परिवहन व इनसे जुड़े अवैध कारोबारियों से पैसों की वसूली की शिकायतें हुई थी। इटारसी रोड के एक ढाबा में लोकायुक्त टीम के छापे के दौरान भी रिश्वत को लेकर कार्रवाई की थी, जिसमें यह भाग निकला था। मामले जांच भी चल रही है। इसी के चलते इसे यहां से हटाया गया था। यातायात प्रभारी के रूप में भी इसकी कार्यशैली ठीक नहीं थी। लाइन में आने के बाद इसने करीब आठ माह पहले कोतवाली थाना में पदस्थापना करा ली थी।


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ऐसे बनाते थे शिकार
बताया जाता है कि कोतवाली थाने में शांतिनगर निवासी युवक भविष्य ने शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में सुनीता ठाकुर नामक महिला पर एफआइआर दर्ज हुई थी। इसके बाद महिला आरोपी फरार हो गई थी। महिला पहले युवाओं को बहला-फुसलाकर होटल में बुलाती थी। इसके बाद वीडियो बनाकर पुलिस के बाकी साथियों के साथ मिलकर ब्लैकमेलिंग करते थे। रुपयों एकत्र करके सभी लोग आपस में बांट लेते थे। बताया जाता है कि ब्लैकमेलिंग की रकम सात लाख रुपए तक भी पहुंच गई थी। बाद में ये भी पता चला है कि इस गैंग ने दर्जनों लोगों को अपना शिकार बनाया है।

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