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जानें चिडिय़ा का घर में घोंसला बनाना आपके लिए कितना शुभ

जानें चिडिय़ा का घर में घोंसला बनाना आपके लिए कितना शुभ

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अगर आपके आंगन में अचानक चहचहाने लगे चिड़िया, तो समझ लें बहुत जल्द मिलेगा ये

Know how auspicious it is for you to make a nest in a bird's house

नर्मदापुरम।
कहा जाता है कि चिडिय़ों का घोंसला बनाना सौभाग्य का विषय है, इसलिए उसे उजाड़ें नहीं। घरों के आसपास चहचहाती चिडिय़ों के लिए दाना-पानी रखकर उनका संरक्षण करें। वास्तुशास्त्र के मुताबिक चिडिय़ा का घर में घोंसला बनाना शुभ होता है। अक्सर गर्मियों में चिडिय़ा घरों में घोंसला बनाती हैं। इनका घोंसला बनाना आपके लिए शुभ और सौभाग्य का संकेत ले कर आता है। वास्तुशास्त्र के जानकार पंडित विकास शर्मा बताते हैं कि गौरैया का घोंसला बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। गौरैया से वास्तुदोष दूर होते हैं। गौरैया का घोंसला घर के पूर्व भाग में हो तो मान-सम्मान में वृद्धि होती है। आग्नेय कोण पर घोंसला बनाने से पुत्र का विवाह शीघ्र होता है। दक्षिण दिशा में होने से धन प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म में देवी देवताओं के वाहन पक्षी हैं। जैसे भगवान कार्तिक का वाहन मोर, माता सरस्वती का वाहन हंस, विष्णु जी का गरुड़, शनिदेव का वाहन कौवा और माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है। ये सभी वाहन आपके पूजा स्थान में अपने देवों और देवियों के साथ पूजा ग्रहण करते हैं।

जानें अपने लकी पक्षी के बारे में...
गौरैया पक्षियों के पैसर वंश की एक जीववैज्ञानिक जाति है, जो विश्व के अधिकांश भागों में पाई जाती है। आरंभ में यह एशिया, यूरोप और भूमध्य सागर के तटवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती थी, लेकिन मानवों ने इसे विश्वभर में फैला दिया है। यह मानवों के समीप कई स्थानों में रहती हैं और नगर-बस्तियों में आम होती हैं। गोरैया एक छोटी चिडिय़ा है। यह हल्की भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग पीला होता है। नर गोरैया का पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होता है। 14 से 16 सेमी लंबी यह चिडिय़ा मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है।

यह चिंता का विषय-
पिछले कुछ सालों में शहरों में गौरैया की कम होती संख्या पर चिन्ता प्रकट की जा रही है। बहुमंजिली इमारतों में गौरैया को रहने के लिए पुराने घरों की तरह जगह नहीं मिल पाती। सुपरमार्केट संस्कृति के कारण पुरानी पंसारी की दूकानें घट रही हैं। इससे गौरेया को दाना नहीं मिल पाता है। इसके अतिरिक्त मोबाइल टावरों से निकले वाली तंरगों को भी गौरैयों के लिए हानिकारक माना जा रहा है।