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गुजरात की दर्जनभर महिलाओं का कमाल, आलू, केमिकल से बना रहीं थी देशी घी..

बीच शहर में चल रही थी नकली घी बनाने की मिनी फैक्ट्री, प्रशासन ने की छापामार कार्रवाई

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Mini factory to make fake ghee in harda

Mini factory to make fake ghee in harda

हरदा। शहर में शुद्ध देशी घी के नाम से केमिकल युक्त नकली घी का कारोबार चल रहा था। कारोबारियों ने बकायदा किराए के एक मकान में नकली घी बनाने की मिनी फैक्ट्री खोल ली। जहां वनस्पति घी, तेल, आलू, केमिकल से नकली घी बनाया जा रहा था। इस कारोबार में गुजरात से बुलाए गए करीब एक दर्जन से अधिक महिलाएं, किशोरी एवं युवकों द्वारा नकली घी बनाकर शहर सहित आसपास के क्षेत्रों में फेरी लगाकर बेचा जा रहा है। पत्रिका की ओर से मामले की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन ने रात में छापामार कार्रवाई की। जिसमें बड़ी मात्रा में नकली घी बरामद किया गया।

सुबह सूचना, रात में कार्रवाई
रविवार सुबह पत्रिका द्वारा गुप्तेश्वर व्यायाम शाला और खेड़ापति मंदिर के बीच में स्थित दो कमरों में बन रहे नकली घी का स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसकी खबर खाद्यएवं औषधि निरीक्षक जेपी लौवंशी को दी गईथी। जिस पर उन्होंने रात्रि 8 बजे तहसीलदार अलका एक्का और टीम को लेकर मौके पर पहुंचे और नकली घी जब्त कर कार्रवाई की। लौवंशी ने बताया कि दो मकानों में नकली शुद्ध घी बनाने का काम किया जा रहा था। इसमें महिलाएं एवं पुरुष शामिल थे। कार्रवाई में एक कमरे से ४० तथा दूसरे कमरे से ५२ लीटर नकली घी जब्त किया गया। वहीं दोनों जगहों से पांच महिलाएं, आठ बच्चे और एक बुजुर्ग मिला। अधिकारियों ने पकड़े घी का पंचनामा बनाया। इस कारोबार में दूसरे प्रदेशों से मजदूर लगाकर कारोबार किया जा रहा
था जिसमें बच्चे भी शामिल थे।

दो कमरों में तीन माह से चल रहा कारोबार
खेड़ीपुरा मोहल्ले में गुप्तेश्वर व्यायाम शाला के पीछे किराए के मकान में बने दो कमरों में यह कारोबार पिछले करीब तीन महीनों से चल रहा है। यहां गुजरात के इन मजदूरों को मुख्य कारोबारी द्वारा नकली घी बनाने की सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। मकान के अंदर पसरी गंदगी के बीच घी बनाने के लिए चूल्हें बने हंै। जिन पर वनस्पति घी, तेल, आलू, ऐसेंस सहित अन्य केमिकल मिलाकर नकली घी बनाया जाता है। बनाए गए नकली घी को कपड़े से लिपटे स्टील एवं एल्यूमिनियम के डिब्बों में भरकर रखा जाता है। सुबह होते ही महिलाएं शहर के मोहल्लों एवं कालोनियों सहित आसपास के क्षेत्रों में फेरी लगाकर घी बेचती हैं।

झांसा देकर बेचा जाता है घी
महिलाएं एवं युवतियां कॉलोनियों में पहुंचकर वहां की रहवासियों को अपने जाल में फंसाकर घी बेचती हैं। ये लोग उन्हें अपने सास, ससुर एवं परिजनों की चोरी से कम भाव में घी बेचने की बात कही जाती है। वह डेढ़ सौ से दौ सौ रुपए प्रति किलो में घी बेच देती हैं। घी को गर्म करने पर असलियत पता चलती है।

कौन है मुख्य कारोबारी किसी को नहीं पता
आसपास के रहवासियों से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि यहां पर पिछले करीब तीन महीने से घी बनाने का काम किया जा रहा है। यहां पर बाहर से बुलाए गए मजदूरों से ही काम कराया जाता है। स्थानीय मजदूरों को काम पर नहीं रखा जाता है। उन्होंने बताया कि हमें पता है कि यहां पर नकली घी बनाया जाता है, इसलिए कभी खरीदा नहीं। नकली घी के मुख्य कारोबारी के पूछने पर बताया गया कि वह मात्र एक बार सुबह १०-११ बजे के करीब आता है। वह कौन है, कहां से आता है, कहां जाता है, कहां रहता है इसकी जानकारी न मजूदर दे सके और न ही आसपास के लोग।

मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की
प्रशासनिक टीम के साथ मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की गई है। बड़ी मात्रा में घी बरामद किया गया है। इसमें नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
जेपी लौवंशी, निरीक्षक, खाद्य एवं औषधि विभाग