
शिवजी पर एक लोटा जल और बिल्व पत्र चढ़ाने से इन दोष-रोग का होता है निवारण-पंडित प्रदीप मिश्रा
नर्मदापुरम. अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले महाराज) ने बताया कि देवाधिदेव महादेव भगवान शिव पर एक लोटा जल एवं बिल्व पत्र चढ़ाने से तीन दोषों सहित रोगों के कष्ट का निवारण हो जाता है। उन्होंने इसके कई उदाहरण दिए। उनके पास आई चिट्ठियों में लिखे भक्तों के अनुभव को पढ़कर सुनाया। सेमरीहरचंद में सात दिनों तक पं. मिश्रा ने श्रीनर्मदा-शिव महापुराण की कथा को विस्तार से विभिन्न वृतांत के साथ वाचन किया। उनके भजनों पर श्रोतागण जमकर नाचते-गाते रहे। अंतिम दिवस की कथा में उन्होंने कहा-बड़ी मुश्किल से तो मनुष्य जीवन और मानव की देह मिलती है और यदि मिल भी जाए तो भगवान शिव का भजन होना बड़ा कठिन है। चाहे हम मनुष्य बनकर या पशु बनकर जन्मे हों हर जन्म में परिवार-रिश्तेनाते मिलते हैं, लेकिन केवल मनुष्य का जन्म ऐसा है, जिसमें सबसे हटकर कुछ मिलता है तो वह सत्संग ही है। केवल मनुष्य जीवन में ही सत्संग का भान होता है। इसलिए इसे बेकार न जाने दें। भगवान शिव हो या चाहे जिस देवी-देवता को पूजें, अगर बिना दिखावे-आडंबर के पवित्र मन और सच्ची लगन ध्यान किया जाए तो पुण्य फल जरूर मिलता है। भगवान शिव के पूजन-ध्यान से तीन दोषों पितृदोष, वास्तुदोष एवं कालसर्प दोष का निवारण होता है। ये श्रीनर्मदा-शिवमहापुराण की कथा, शंकर का पावन चरित्र ही कोहिनूर का हीरा है। हमें इसे समझना होगा। यह अमृत वचन सेमरीहचंद में चल रही महापुराण कथा के छंटवे दिवस अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने सुनाए। कथा के बीच में उनके भजनों पर श्रोता जमकर झूमे। कथा का सोमवार को समापन होगा। इसके बाद पं. मिश्रा 25 मई से हैदराबाद में शिवमहापुराण की कथा का वाचन करेंगे।
शिवपुराण कोहिनूर हीरा से कम नहीं है
पं. मिश्रा ने कथा को विस्तार देते हुए कहा कि श्री महापुराण कोहिनूर हीरा से कम नहीं है। बस इसको जो पहचान-जान समझ गया और श्रीशिवाय मंत्र के मूल तत्व को समझ गया वह एक लोटा जल के अर्पण को भी समझ जाएगा कि इससे क्या लाभ मिलता है। देवाधिदेव महादेव पर एक चावल का दाना , एक बिल्व पत्र चढ़ाने से से क्या से क्या मिल जाता है। जरूरत सिर्फ हमें ये है कि हम भगवान को कैसे रिझा सकते हैं। पं. मिश्रा ने सत्संग की मूल्यता को एक चमकदार पत्थर यानी कोहिनूर हीरे की कथा से समझाया।
पीडि़तों ने लाभ के अनुभव बताए
कथा के बीच में पं. मिश्रा ने पीडि़तों के पत्र पढ़कर उन्हें मिली राहत व लाभ के वृतांत सुनए। जिसमें पायल पटवा पिपरिया ने लिखा था-टीवी पर कथा सुनती थी। बहन को सोराइसस की बीमारी थी। ठीक नहीं हो रही थी। सभी दूर दूर के डॉक्टर को दिखाया। फुलेरा दूज का धतूरा उपाय किया तो रोग अब ठीक हो रहा है। संध्या व्यास गुजरात ने बताया कि दो पशुपति व्रत किए जिसके बाद उसके बड़ै भैया की नौकरी लग गई। ज्योति खंडेलवाल सतना ने कहा- पशुपति व्रत किया था, बेटा पहले इंटरव्यू में ही पास हो गया। ज्वाइनिंग लैटर प्राप्त हो गया और उसकी नौकरी लग गई। अमन मिश्रा ने बताया उसकी छोटी बहन मानसिक रूप से असंतुलित है। डॉक्टरों को दिखाया, दवाइयां खिलाई कोई लाभ नहीं हुआ। जबसे बिल्व पत्र के सेवन कराया तब से सुधार आ रहा है।
शिव भजनों पर झूमे भक्त
पं. मिश्रा ने कथा के बीच-बीच में सुमधुर संगीतमय शिव भजन भी सुनाए। जिसमें तेरे दरबार की बाबा निराली शान देखी है, तुझे देते नहीं देखा पर झोली भरी देखी है। शंभू शरण में पड़़ी मांगू घड़ी रे घड़ी दुख काटो दया करी मैं दर्शन आई सहित अन्य भजनों पर श्रोता जमकर झूमे। पूरे कथा स्थल में ओम नम: शिवाय, श्रीशिवाय नमस्तुभ्यं के स्वर गूंजते रहे।
एक लोटा जल चढ़ाने से तीन दोष मिटते हैं
पं. मिश्रा ने बताया कि भगवान शिव पर एक लोटा जल चढ़ाने से तीन प्रकार के दोष से मुक्ति मिलती है। पितृदोष, वास्तुदोष एवं कालसर्पयोग से निवारण होता है। उन्होंने कहा-मंदिर जाकर एक लोटा जल चढ़ाने की महत्ता को जानना है। पार्वती माता की नानी स्वधा की कथा से समझाया।
युवकों से दहेज न लेने का दिलाया संकल्प
पंडित प्रदीप मिश्रा ने पांडाल में कथा सुनने आए युवकों को खड़े करवाकर और दोनों हाथ उठवाकर अपने विवाह में दहेज न लेने का संकल्प दिलाया। उन्होंने सीख दी कि भिखारी मत बनो। किसी से आस मत रखो अगर आस रखना ही है तो सिर्फ देवाधिदेव महादेव भगवान शंकर से रखो। वह सबकी झोली भर देगा।
गुरु-शिष्य की कथा से समझाया कोहिनूर का महत्व
सेमरीहरचंद. कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव महापुराण कथा के महत्व की चर्चा करते हुए मनुष्य के व्यवहार की कीमत एक कोहिनूर हीरे की कहानी सुना कर समझाई। कथा में गुरु ने अपने शिष्य को कोहिनूर हीरा देकर कहां की जाओ इस पत्थर की कीमत का पता लगाकर आना और किसी को देना नहीं। शिष्य पत्थर को लेकर बाजार में गया सब्जी वाले से उसने उसकी कीमत पूछी सब्जीवाला समझा यह पत्थर देखने में अच्छा है। सब्जी तोलने के काम आएगा। उसने इसके 5 रुपए देने का कहा। शिष्य कबाड़ी की दुकान पर गया उसने उसकी सुंदरता देखकर उसकी कीमत 10 रुपए लगाई। कपड़े वाले की दुकान वाले ने 20 रुपए। जैसे-जैसे वह बड़ी दुकान पर वह गया कीमत बढ़ती गई। राजा के पास पहुंचने उसने जोहरी से पत्थर की परख करवाई तो उसे पता चला यह तो कोहिनूर हीरा है। राजा ने उससे कहा मेरे नगर का मेरे राज्य का सारा वैभव ले लो और यह पत्थर मुझे दे दो। शिष्य पत्थर लेकर गुरु के पास वापस आया तो गुरु ने कहा-इसी प्रकार शिव महापुराण की कथा की कीमत है। जो इसे जिस भाव से देखेगा उसी भाव से कथा में आएगा।
Published on:
10 May 2022 10:03 pm
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