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दूल्हे ने पहना भाई का सूट तो माला व साफा मित्र का, दुल्हन जेठानी के गहने पहन पहुंची

लाॅकडाउन की अनोखी शादी दुल्हन को लेकर दूल्हे के गांव पहुंचे परिजन जुगाड़ कर सामान एकत्र किया शादी के लिए

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दूल्हे ने पहना भाई का सूट तो माला व साफा मित्र का, दुल्हन जेठानी के गहने पहन पहुंची

दूल्हे ने पहना भाई का सूट तो माला व साफा मित्र का, दुल्हन जेठानी के गहने पहन पहुंची

बालागांव/हरदा। कोरोना ने शादियों को सादगी से परिपूर्ण व मितव्ययी बना दिया है। आलम यह कि अब दूसरे की शादी का जोड़ा, साफा आदि लेकर अपनी शादी में इस्तेमाल करने से भी लोग नहीं हिचक रहे। बालागांव में एक ऐसी ही शादी संपन्न हुई जिसमें दूल्हे ने बड़े भाई का सफारी सूट, मित्र का साफा पहन शादी की विधियां संपन्न कराई। जबकि दुल्हन ने जेठानी के गहने पर गृहस्थ जीवन की कसमें खाई।

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बालागांव की यह यादगार शादी सबके लिए चर्चा और सराहना का केंद्र बनी हुई है। बालागांव के रहने वाले अरविंद गौर की शादी फुलड़ी के जीवनराम गौर की पुत्री मौसम के साथ तय थी। लेकिन लाॅकडाउन बढ़ने और दुकानों के नहीं खुलने से दोनों की तय तिथि पर खरीदारी नहीं हो सकी। शादी की डेट नजदीक आ गई और न दूल्हे के कपड़े ही खरीदे जा सके न अन्य जरुरी सामान। पेशे से एक स्कूल संचालक अरविंद गौर ने दोस्तों व परिवार के सदस्यों के पास मौजूद आवश्यक सामानों को एकत्र करने की सोची।
दूल्हे के लिए कपड़े नहीं सिल सके थे इसलिए बड़े भाई की सफारी सूट को इसके लिए चुना गया। रही बात दूल्हे की माला व साफा की तो एक दोस्त के पास उसकी शादी के दौरान का साफा व माला जस का तस पड़ा हुआ था। दोस्त ने उस साफा व माला का जुगाड़ कर एक और परेशानी को हल कर दिया। इसके बाद दुल्हन को देने के लिए गहने की बात आई। इसके लिए दुल्हन की जेठानी ने अपने गहने उपलब्ध कराए। इसी तरह हर छोटी-बड़ी चीज आपसी सहयोग से जुगाड़ कर लिया गया। फिर पूरे रस्मों-रिवाज से शादी संपन्न कराई गई।

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दूल्हा अरविंद गौर बताते हैं कि शादी तो हमेशा ही यादगार रहती है लेकिन यह विशेष तौर पर सबसे बेहतर पल रहे। बाजार से सामान लेकर शादी करने में शायद उतनी खुशी न मिलती जो जुगाड़ के सामानों से संपन्न हुई शादी से हुई। दूल्हे के भाई अनिल गौर कहते हैं कि लाखों रुपये में यह शादी अनुमानित थी लेकिन महज 85 हजार रुपये ही खर्च आए।

गांव में ही पहुंच गया दुल्हन का परिवार

इस शादी की सबसे अहम बात यह भी रही कि दुल्हन को लेकर उसका परिवार दूल्हे के गांव चला आया। गांव में ही शादी की सारी रस्में पूरी कराई गई। जिले के बाहर का एक भी रिश्तेदार नहीं बुलाया गया। अरविंद बताते हैं कि शादी के यादगार पल को संजोने के लिए इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई।

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