
अंतर्राष्ट्रीय नदी महोत्सव के जनक नर्मदा सेवक अनिल माधव दवे को पौधा रोपण कर दी जाएगी श्रृद्धांजलि
होशंगाबाद/ पर्यावरणविद्, नर्मदा के सच्चे सेवक और पूर्व राज्यसभा सांसद और पूर्व पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री स्व. अनिल माधव दवे को 18 मई को पूरे नर्मदांचल में नर्मदा के रिपेरियन जोन-तटों पर पौधे रोपकर श्रृद्धांजलि दी जाएगी। उनका होशंगाबाद से बेहद लगाव रहा। नर्मदा-तवा के संगम तट बांद्राभान में उन्होंने देश-दुनिया के विशेषज्ञों के साथ पांच बार वर्ष 2008 से 2018 तक नदी महोत्सव के आयोजन कराए। मां नर्मदा के साथ एवं समस्त नदियों के संरक्षण के लिए नदी महोत्सव कार्यक्रम विश्व में अनोखा कार्यक्रम साबित हुआ, जिसके सूत्रधार स्वयं अनिल माधव दवे थे। विश्व भर के जल एवं नदी विशेषज्ञों ने विचार प्रकट कर उनका क्रियान्वयन भी किया। दवे ने होशंगाबाद के सरकारी स्कूलों में बायो टॉयलेट बनाने का अभियान भी प्रारंभ किया था। सोमवार को नर्मदा प्रेमी सभी स्वयंसेवी संस्थाएं एक साथ पौधरोपण का वृहद कार्यक्रम करेंगी।
नर्मदा प्रेमी स्वयंसेवी संगठन द्वारा स्व. अनिल माधव दवे की पुण्यतिथि पर प्रदेश में 16 जिले 51 विकासखंड 712 ग्राम पंचायतों में स्मरण करते हुए पौधे लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। दवे ने अपनी वसीयत में पौधे लगाकर श्रद्धांजलि देने की बात लिखी थी। उन्होंने किसी भी अन्य कार्यक्रम के स्थान पर पौधरोपण को महत्व दिया। इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में लगभग 150 स्वयंसेवी संगठन नर्मदा सेवा समितियां के द्वारा नर्मदा के तट क्षेत्र में पौधारोपण करेंगे। इस दौरान सुरक्षित स्थानों पर सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए एक व्यक्ति एक पौधा रोपेगा।
इन जिलों में होगा एक साथ पौधरोपण कार्यक्रम
प्रदेश के होशंगाबाद जिले सहित अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, जबलपुर, नरसिंहपुर,रायसेन, हरदा, सीहोर, देवास, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार, अलीराजपुर की स्वयंसेवी संस्थाएं नर्मदा तटों पर पौधे लगाकर अनिल दवे का पुण्य स्मरण करेंगी। होशंगाबाद में 68 नर्मदा तटों पर पौधे लगाए जाएंगे । जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक कौशलेंद्र तिवारी ने बताया कि होशंगाबाद जिले में भी समस्त 68 नर्मदा तट क्षेत्रों में सोमवार को पौधारोपण किया जाएगा।
नदी महोत्सव स्थल पर हुआ था दाह संस्कार
स्व. अनिल माधव दवे का दाह संस्कार उनकी लिखित इच्छा पर 18 मई 2017 को बांद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर हुआ था। निधन पूर्व 23 जुलाई 2012 को उन्होंने एक भी लिखा था, दाह संस्कार उत्तर क्रिया के रूप में वैदिक कर्म ही हो, किसी प्रकार का दिखावा, आडंबर न हो, मेरी स्मृति में कोई स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा इत्यादि जैसे विषय कोई भी न चलाए। जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते हैं, वे वृक्षों को लगाएं और उन्हें संरक्षित करेंगे।
अनिल माधव दवे का जन्म उज्जैन के बडऩगर में विजयादशमी के दिन जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा रेलवे में कार्यरत पिता के साथ गुजरात के विभिन्न अंचलों में हुई। 1964 से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक बने। अनंतर इंदौर के गुजराती कॉलेज से एमकॉम की डिग्री ली। छात्र संघ अध्यक्ष रहे। ग्राम्य अर्थव्यवस्था व प्रबंधन में विशेषज्ञा हासिल की। शौकिया तौर पर पायलेट भी थे। कुछ आजमाइश नौकरी व उद्योग-धंधे में की, लेकिन मन नहीं लगा। नर्मदा की सेवा में पूरा जीवन बिताया। नर्मदा समग्र के संस्थापक बने। जन अभियान परिषद के रचनाकार दवे ही थे। पर्यावरण और विशेषत: नदी संरक्षण पर गंभीर चिंतन व कार्य किए। विचारक, लेखक, कुशल संगठक एवं भारतीय लोक व शिष्ट परंपरा के अध्येता कहलाए। स्फुट सामाजिक निबंध, व कविताएं प्रकाशित की। मासिक चैरेवती के पूर्व संपादक भी रहे। वर्ष 2009 से 2017 तक राज्य सभा सांसद और 2016 से 2017 तक केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन का दायित्व भी संभाला।
नर्मदा समग्र, सृजन से विसर्जन तक, शिवाजी व सुराज, शताब्दी के पांच काले पन्ने (1900-2000), संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से, महानायक चंद्रशेखर आजाद, रोटी और कमल की कहानीष अमरकंटक से अमरकंटक तक, समग्र ग्राम विकास।
Published on:
18 May 2020 12:18 pm
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