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इन 10 क्रांतिकारी नारों ने निभाई थी भारत को आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका

10 प्रभावशाली नारे जो भारत में हुए लोकप्रिय नारे जिन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर किया मजबूर आइए आज आज़ादी के 72 वर्ष के मौके पर याद करते हैं देशभक्त नेताओं को कुर्बानी बड़ी याद छोटी

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bhagat singh

नई दिल्ली। भारत के आज़ाद होने के 72 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस उपलक्ष में आज हम उन वीर शहीदों, क्रांतिकारियों और देशभक्त नेताओं के नारे लिखे नारे देखेंगे हैं जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके नारे इतने प्रभावशाली थे देश के सभी युवाओं में और हर प्रकार के वर्ग में आज़ादी की ऐसी अलख जगा गए कि अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाना पड़ा। आइए इन नारों के जरिए हम उन महान क्रांतिकारियों और देशभक्त नेताओं को याद करते हैं।

-भगत सिंह- इंकलाब जिंदाबाद- आजदी की लड़ाई में सबसे ज्यादा लोकप्रिय होने वाला नारा "इंकलाब जिंदाबाद" था जो आज भी लोकप्रिय है।

-नेताजी सुभाष चंद्र बोस- जय हिंद- आज़ाद हिंद फौज के गठन के बाद सभी सिपाही अपने अपने धर्म के हिसाब से अभिवादन करते थे। नेताजी को महसूस हुआ की कोई एक अभिवादन होना चाहिए जिसे आज़ाद हिंद फौज के सभी सिपाही इस्तेमाल करें। जिसके बाद जय हिंद का नारा बुलंद हुआ।

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-महात्मा गांधीजी- करो या मरो- यह नारा जब दिया गया जब महात्मा गांधीजी ने "भारत छोड़ो" आंदोलन का आगाज़ किया था। इस नारे ने लोगों में आज़ादी की एक अलग ही अलख जगा दी थी।

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-युसूफ मेहर अली- साइमन वापस जाओ- साइमन कमिसन के भारत आने का विरोध किया तो एक नारे की तलाश की गई। जिसे युसूफ मेहर अली ने "साइमन वापस जाओ" नारे को लिख कर पूरा किया।

-लोकमान्य बालगंगाधर तिलक- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है- इसे लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने दिया था, जब अंग्रेजो ने उन्हें 1908 में विद्रोही लेख लिखने और देशद्रोह का चार्ज लगते हुए बर्मा के मंडालय जेल भेज दिया था।

-रामप्रसाद बिस्मिल- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है- रामप्रसाद बिस्मिल ने बिस्मिल अजीमा बादी के शब्दों के अपनी आवाज देकर इसे एक लोकप्रिय नारा बनाया।

-भारतेन्दु हरिश्चंद्र- हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान

-बंकिम चंद्र चटर्जी- वंदे मातरम्- 80 के दशक में जब अंग्रेजो ने सरकारी समारोहों में ‘गॉड! सेव द क्वीन’ गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया तब ‘बंकिमचन्द्र चटर्जी’ को बहुत ठेस पहुंची तब उन्होंने नये गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया - 'वंदे मातरम्।'

-इकबाल- सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा- यह नारा प्रसिद्ध शायर इकबाल ने लिखा था। इस नारे को तब लिखा गया जब अंग्रेजो को अत्याचार बहुत बढ़ गया था तब लोगो में हिम्मत जगाने के लिए 1905 में लिखा था।

-जवाहर लाल नेहरु- 'आराम 'हराम' है'- जब देश अंग्रेजो से आजाद हुआ तब देश की माली हालत बहुत खराब थे तब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने युवाओ में काम करने के प्रति नया जोश भरने के लिए यह नारा दिया था।