
हिटलर से भी ज्यादा क्रूर था बेनिटो मुसोलिनी, 60 मिलियन लोगों को उतारा था मौत के घाट
नई दिल्ली: जब बात दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह की होती है तो सभी के जहन में एक ही नीम आता है और वो है हिटलर। लेकिन यहीं पर लोग भूल कर देते हैं क्योंकि दुनिया में एक शख्स ऐसा था जो से कहीं ज्यादा क्रूर और निर्दयी था और उसने लाखों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारा था। ये शख्स और कोई नहीं बल्कि इटली का तानाशाह बेनितो मुसोलिनी था जिसे फासीवाद का जनक कहा जाता है।
आपको बता दें की अपनी क्रूर तानाशाही के बल पर मुसोलिनी ने लगातार 20 सालों तक इटली पर राज किया। मुसोलिनी एक गरीब लोहार के घर में पैदा हुआ था और फिर वो दुनिया के सबसे बड़े तानाशाहों की लिस्ट में भी शुमार हुआ।
मुसोलिनी का जन्म 29 जुलाई 1883 को इटली के उत्तर पूर्व क्षेत्र में हुआ था। उसके पिता का नाम अलेसांद्रो मुसोलिनी था, जो पेशे से एक लोहार थे। वहीं उनकी मां का नाम रोसा मुसोलिनी था, जोकि एक अध्यापिका थीं।
जानकारी के मुताबिक़ उसके पिता मेक्सिकन सुधारवादी राष्ट्रपति बेनिटो जुआरेज से बहुत प्रभावित थे। यही वजह थी कि उन्होंने अपने बेटे का नाम बेनिटो मुसोलिनी रख दिया। बेनितो के पिता की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी इसके बावजूद उन्होंने बेनितो को अच्छे से पढ़ाया।
इसके बाद मुसोलिनी एक टीचर के तौर पर काम करने लगा और साल 1902 में वो समाजवादी विचारधारा के साथ जुड़ गया। इसके कुछ समय बाद मुसोलिनी ने पत्रकारिता में कदम रखा लेकिन फिर वो देश सेवा करने के लिए सेना में शामिल हो गया लेकिन चोट लगने की वजह से उसे सेना से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
1918 के आसपास उसने सेना से किनारा कर लिया और राजनीति में सक्रिय हो गया और लोगों को अपने साथ शामिल करने लगा जो सरकार का विरोध करने में उसका साथ देते थे। साल 1919 में मुसोलिनी ने इतालवी लड़ाकू दस्ता लीग की स्थापना की। इस पार्टी का मकसद देश में फासीवाद को बढ़ावा देना था। आपको बता दें कि मुसोलिनी के समर्थक काले रंग की शर्ट पहनते थे इसलिए उसे ब्लैक शर्ट भी कहा जाता है।
1921 में मुसोलिनी देश का राष्ट्रीय नेता बन चुका था और उसने लगातार कमजोर होती सरकार का फायदा उठाया। 30 अक्टूबर 1921 को मुसोलिनी इटली का सर्वे सर्व बन गया और यही से शुरू हुआ उसकी तानाशाही का दौर। ऐसा कहा जाता है कि मुसोलिनी अपने विरोधियों को मरवा देता था और उसपर 60 मिलियन लोगों की हत्या का आरोप था।
मुसोलिनी की तानाशाही की वजह से उसका विरोध बढ़ता जा रहा था और उसके खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और आखिर में उसे इन प्रदर्शनकारियों ने पकड़कर 28 अप्रैल 1945 को इसको मौत दे दी।
Published on:
28 Apr 2019 07:00 am
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