
‘एकाग्रता’ की शक्ति प्रत्येक मनुष्य में गुप्त और सुषुप्त है। जो व्यक्ति इसका अनुभव कर लेता है वह महान उपलब्धियों का वरण करता है। एकाग्रता को चमत्कारिक और सर्वश्रेष्ठ अहसास भी कहा गया है।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि हमारा मन स्वभावत: ही चंचल है और इसी वजह से बहुत देर तक एक ही दिशा में गति बनाए रखना उसके लिए बहुत कठिन होता है। यदि कोई ऐसा करने में सफल हो जाता है तो वह व्यक्ति एकाग्र कहलाता है। देखा जाए तो ‘एकाग्रता’ की शक्ति प्रत्येक मनुष्य में गुप्त और सुषुप्त है। जो व्यक्ति इसको अनुभव कर लेता है वह महान उपलब्धियां पाता है। इसीलिए यह कहा जाता है कि संकल्प-शक्ति चमत्कारिक है अर्थात यह मानव की निजी शक्ति है एवं उसके अन्तर्मन का सामथ्र्य है और इसलिए इसका महत्त्व तभी से है जब से मानव है।
प्राचीन काल में इसी शक्ति से त्रिकालीदर्शी होना, वरदान या श्राप जैसी विचित्र घटनाएं भी होना पाया जाता था। ऋषि-मुनि इसी शक्ति से अनेक प्रकार के संताप नाश करते थे। इसी प्रकार से भूत, भविष्य की बातें भी इसी आधार पर बताई जाती हैं क्योंकि स्थिरता से स्पष्टता आती है। जैसे समुद्र के पानी में स्थिरता है तभी तो परछाई दिखाई देती है, उसी प्रकार से मन रूेपी सागर में विचारों की स्थिरता होने से बुद्धि सभी कुछ देखने-जानने में सक्षम हो जाती है।
एकाग्रता से स्थिरता और विश्वास
एकाग्रता अर्थात एक+अग्रता अर्थात एक के आगे रहना। संसार की परमशक्ति रचना शक्ति परमात्मा पिता ‘एक’ है। भक्ति में ‘एक’ इष्ट की अटूट भक्ति, जिसे नौधा भक्ति कहते हैं, उससे साक्षात्कार होता है। सांसारिक जीवन में भी एक से जुड़े रहने का बड़ा महत्त्व है। इसीलिए देखा जाता है कि बार-बार अपना लक्ष्य को बदलने वाले लोगों के प्रति इतना सम्मान भाव नहीं रहता और ऐसे व्यक्ति को स्थिर और विश्वसनीय भी नहीं माना जाता है। एक से संबंध जोड़े रखना एवं एकाग्र होना हमें सम्मान प्राप्ति का हकदार बनाता है।
उलझनों से दूरी देगी लाभ
एकाग्रता सिद्धि का सर्वोत्तम उपाय है यह मन को व्यर्थ की उलझनों एवं समस्याओं से दूर रखना है। जिनसे अपने लक्ष्य का सीधा संबंध हो ऐसी ही बातों और विचारों तक सीमित रहा जाए। कुछ लोग घर, परिवार, मुहल्ले, समाज, देश आदि की व्यर्थ बातों में ही अपनी शक्ति गवां देते हैं। ऐसी बातों में उलझने की वृत्ति निरर्थक उत्सुकता की वृत्ति कही जाती है। यह निरर्थक उत्सुकता की वृत्ति ही हमारी विचारधारा को संकीर्ण बनाती है और इसमें उलझने से मन अस्त-व्यस्त, छिन्न-भिन्न और चंचल ही बना रहता है।
Published on:
20 Nov 2020 06:41 pm
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