19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दुर्गा सप्तशती के ये 13 मंत्र पूरी करेंगे आपकी हर मनोकामना, जानिए कैसे प्रयोग करना है

सप्तशती के सभी 700 श्लोक किसी न किसी मनोकामना की पूर्ति हेतु मंत्र रूप में प्रयोग किए जाते हैं। विद्वानों के अनुसार इनमें से भी 13 मंत्र ऐसे हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति अपनी अभीष्ट इच्छापूर्ति हेतु प्रयोग कर सकता है।

2 min read
Google source verification

image

Sunil Sharma

Nov 12, 2020

KALI MATA MANDIR CALCUTTA IN HINDI : An Shakti Peeth

kali mata

दुर्गा सप्तशती के सभी 700 श्लोक किसी न किसी मनोकामना की पूर्ति हेतु मंत्र रूप में प्रयोग किए जाते हैं। विद्वानों के अनुसार इनमें से भी 13 मंत्र ऐसे हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति अपनी अभीष्ट इच्छापूर्ति हेतु प्रयोग कर सकता है। ये मंत्र निम्न प्रकार हैं-

वास्तु : ऐसे बनवाए घर की सीढ़ियां होगा खुशियों का आगमन, वरना जिंदगी भर रहेगी ये परेशानी

गुड़ के अचूक टोटके बदल देंगे आपकी तकदीर, खुशहाल जिंदगी के लिए जरूर आजमाए

(1) समस्त जग के कल्याण हेतु
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न:।।

(2) विश्व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिए
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।

(3) विश्व की रक्षा के लिए
या श्रीः स्यवं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतविधां ह्रदयेषु बुद्धिः।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम्।।

(4) विश्व के अभ्युदय के लिए
विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।
विश्वेशवन्द्या भवती भवन्ति विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः।।

(5) विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिए
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।

(6) विश्व के पाप-ताप-निवारण के लिए
देवि प्रसीद परिपालय नोऽरिभीते-र्नित्यं यथासुरवधादधुनैव सद्यः।
पापानि सर्वजगतां प्रशमं नयाशु उत्पातपाकजनितांश्च महोपसर्गान्।।

(7) विपत्ति नाश के लिए
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

(8) विपत्तिनाश और शुभ की प्राप्ति के लिए
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।

(9) भय-नाश के लिए
(क) सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते।
(ख) एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम्।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते॥
(ग) ज्वालाकरालमृत्युग्रमशेषासुरसूदनम्।
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते॥

(10) पाप-नाश के लिए
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽनः सुतानिव ॥

(11) रोग-नाश के लिए
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥

(12) महामारी-नाश के लिए
ऊँ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

(13) आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।