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माहवारी के समय एक सेनेटरी नैपकिन के बदले लड़कियां टैक्सी ड्राइवर्स से बनाती हैं संबंध, घरवाले पीरियड्स को मानते शर्मनाक

नैरोबी के कई इलाकों में वर्तमान समय में भी पीरियड्स को लेकर लोग खुलकर बात नहीं करते हैं। यह उनके लिए शर्म की बात होती है।

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Arijita Sen

Sep 17, 2018

Sanitary napkins

माहवारी के समय एक सेनेटरी नैपकिन के बदले लड़कियां टैक्सी ड्राइवर्स से बनाती हैं संबंध, घरवाले पीरियड्स को मानते शर्मनाक

नई दिल्ली। पीरियड्स यानी माहवारी एक बेहद ही स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है जिसे लेकर आज भी लोगों के मन में तरह-तरह की विचारधाराएं हैं। खासकर गांवों में या पिछड़े हुए इलाकों में तो इस दौरान लड़कियों या महिलाओं को तमाम पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य कई प्रान्तों में भी इसे लेकर कई तरह की मान्यताओं का पालन किया जाता और इसका सबसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है महिलाओं को।

आज हम आपको अफ्रीकन महाद्वीप में स्थित देश केन्या के हालातों के बारे में बताएंगे जिसके बारे में जानकर आपको दुख भी होगा और हैरानी भी होगी।केन्या की राजधानी नैरोबी के कई इलाकों में वर्तमान समय में भी पीरियड्स को लेकर लोग खुलकर बात नहीं करते हैं। यह उनके लिए शर्म की बात होती है। बात करना तो दूर यहां के लोग पीरियड्स को लेकर तरह-तरह की मान्यताओं का पालन करते हैं।

यहां की लड़कियों की हालत इन सभी कारणों के चलते बदहाल है। नैरोबी के कई इलाकों में महज एक सेनेटरी नैपकीन के लिए लड़कियां अपना शरीर तक बेचने को तैयार है। यूनिसेफ के एक शोध में इसका खुलासा किया गया है। इसमें बताया गया है कि, नैरोबी के किबेरा क्षेत्र में करीब 65 फीसदी महिलाएं सिर्फ एक सेनेटरी पैड के लिए अपना शरीर तक बेचने को तैयार रहती हैं।

एक चैरिटी संस्था के सर्वे में खुलासा किया गया कि पश्चिमी केन्या में करीब 10 फीसदी लड़कियां ऐसी हैं, जिन्होंने शादी से पहले एक पैड के लिए अपने शरीर का सौदा किया है। यूनिसेफ की रिसर्च यह भी कहती है कि केन्या में 54 फीसदी लड़कियां को पीरियड्स के दौरान बेसिक हाइजीन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केन्या में यूनिसेफ के मुख्य अधिकारी एंड्रयू ट्रेवेट का इस बारे में कहना है कि, यहां पर गरीबी की मात्रा बहुत ज्यादा है। ऐसे में सेनेटरी आइटम्स के बदले टैक्सी ड्राइवर के साथ संबंध बनाना यहां की लड़कियों के लिए कोई नई बात नहीं है।

इसकी एक वजह गरीबी है तो वही दूसरी वजह यह है कि यहां हाइजीन प्रोडक्ट्स हर जगह नहीं मिलते हैं। सेनेटरी आइटम्स को खरीदने के लिए शहर तक जाना पड़ता है।

दूर-दराज के गांवों में तो सेनेटरी नैपकीन के बारे में लोग सोचते तक नहीं है।