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योगिनियों की भूख मिटाने के लिए मां छिन्नस्तिका ने काट दिया था अपना सिर, फिर खून पिलाकर शांत की थी भूख

यहां के रजरप्पा में चमत्कारी शक्तियों से परिपूर्ण माता छिन्नमस्तिका का मंदिर है। इस मंदिर को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है। माता छिन्नमस्तिका का यह मंदिर अपने आप में अनगिनत रहस्यों और चमत्कारी शक्तियों को समेटे हुए है।

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history of Chinnamasta Rajrappa temple

योगिनियों की भूख मिटाने के लिए मां छिन्नस्तिका ने काट दिया था अपना सिर, फिर खून पिलाकर शांत की थी भूख

नई दिल्ली। नवरात्रि के पावन मौके पर आज हम आपके लिए माता रानी से जुड़ी एक बेहद ही हैरतअंगेज़ स्टोरी लेकर आए हैं। इसे पढ़ने के बाद निश्चत रूप से आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। इस पूरे मामले का केंद्र झारखंड का रामगढ़ है, जो राजधानी रांची से करीब 79 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां के रजरप्पा में चमत्कारी शक्तियों से परिपूर्ण माता छिन्नमस्तिका का मंदिर है। इस मंदिर को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है। माता छिन्नमस्तिका का यह मंदिर अपने आप में अनगिनत रहस्यों और चमत्कारी शक्तियों को समेटे हुए है।

मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी हैं, जिसका आधार ही चमत्कारी शक्तियों से जुड़ा हुआ है। नवरात्रि के पावन दिनों में यहां भक्तों का इतना भारी सैलाब उमड़ पड़ता है कि उन पर काबू पाना काफी मुश्किल हो जाता है। माता छिन्नमस्तिका का यह चमत्कारी मंदिर भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर मौजूद है। माता की चमत्कारी शक्तियों से यहां आने वाला कोई भी भक्त कभी वंचित नहीं रहता। सच्चे मन से माता के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की सभी मनोकामनाओं को मां अवश्य पूरा करती हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि मंदिर में मौजूद मां छिन्नमस्तिका का सिर अपने धड़ से अलग है, जहां से रक्त की धाराएं बहती हैं। ये रक्त की धाराएं जाकर योगिनियों के मुख में गिरती हैं। माता छिन्नमस्तिका को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है, जिसके अनुसार मां ने भूख से तड़प रही योगिनियों का पेट भरने के लिए अपना सिर काट दिया था और उन्हें अपना खून पिलाया था। भक्तों का मानना है कि मां अपने चाहने वालों को कभी भी दुविधा में नहीं देख सकती हैं। यही कारण है कि वे हमेशा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। बता दें कि मंदिर में मां छिन्नमस्तिका के अलावा सूर्य देव, हनुमान, महाकाली, भगवान शिव और महाविद्या मंदिर भी है।