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कैसे बना भारत का संविधान, जानें इससे जुड़ी 10 खास बातें

संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद चुने गए थे संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की इन बैठकों में शामिल होने के लिए जनता और प्रेस को पूरी आजादी थी

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नई दिल्ली। डा. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित भारतीय संविधान हमारे देश का सर्वोच्च विधान है जिसे संविधान सभा ने 70 साल पहले आज ही के दिन यानी 26 नवम्बर 1949 को पारित किया था। लेकिन इसे लागू किया गया था 26 जनवरी 1950 से।

26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान दुनिया के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान की अपनी अनेक खासियतें है लेकिन इसे बनाने में कई अड़चनों का सामना करना पड़ा।

आइए जानते है कि भारत का संविधान आखिर बना कैसे

1. जब देश आजाद हुआ उस समय हमारा अपना कोई कानून नहीं था। आजाद देश को अपने कानून की दरकरार थी। क्योंकि आजादी पा लेना हीं सब कुछ नहीं होता, जब तक कि हमारे खुद के नियम व कानून हमारे देश को संचालित ना करे।

2. डॉ. भीमराव अंबेडकर को 29 अगस्त, 1947 को संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उनका मानना था कि विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को पाटना बेहद जरूरी है।

3. इसलिए संविधान लिखते हुए अंबेडकर ने देश की एकता को बनाए रखने के लिए धार्मिक और जाति समानता पर जोर दिया था।

5. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और भीमराव आंबेडकर, इन नेताओं की भूमिका बेहद अहम रही। लेकिन इनके अलावा भी कई लोग हैं, जिन्होंने संविधान निर्माण में बेहद ज़रूरी योगदान दिया।

6. भारतीय संविधान को तैयार करने के लिए एक संविधान सभा का निर्माण किया गया था। संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की।

7. इसकी बैठकों में शामिल होने के लिए जनता और प्रेस को पूरी स्वतंत्रता थी। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है।

8. संविधान का मसौदा लिखने वाली समिति ने इसे हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था। इसे लिखने के लिए कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी।

9. संविधान के लागू के होते ही समाज को निष्पक्ष न्याय प्रणाली मिली। इसके साथ ही नागरिकों को मौलिक अधिकारों की आजादी मिली और कर्तव्यों की जिम्मेदारी भी।

10. भारतीय संविधान दस देशों से प्रेरित माना जाता है। हमारी संवैधानिक व्यवस्था और संस्थानों पर ब्रिटिश संविधान का सबसे ज्यादा असर दिखाई देता है। इसके अलावा आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी सहित कई देशों के संविधानों के प्रावधानों को इसमें जगह दी गई है।