
Arms Licence: हथियारों का लाइसेंस बनवाने की नई प्रॉसेस, जानें किन शर्तों पर होंगे जारी
नई दिल्ली।
Arms Licence Process: कई बार घटनाएं सामने आती है कि कोई व्यक्ति सड़कों पर पिस्टल लेकर घूमता रहता है। लेकिन, बड़ा सवाल है कि आखिर कोई कैसे बंदूक ( Weapon Licence ) या हथियार लेकर सड़कों पर खुलेआम घूम सकता है? तो आइए हम आपको बताते हैं कि कोई कैसे हथियार को अपने शहर और सूबे के बाहर ले जा सकता हैं। आपको बता दें कि भारत में बंदूक का लाइसेंस आर्म्स एक्ट 1959 ( THE ARMS ACT, 1959 ) के तहत दिया जाता है। भारत के निवासी सिर्फ NBP गन यानी कि नॉन प्रॉहिबिटेड बोर ( Non Probated Bore ) के तहत हथियार ले सकते हैं।
इस एक्ट के तहत कोई भी नागरिक अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक का लाइसेंस ले सकता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 2009 में इस तरह की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद ऑर्म्स लाइसेंस केवल अपने राज्य समेत चार राज्यों के लिए ही जारी होता था। हालांकि, इसके बाद नियमों में बदलाव किया गया। आइए जानते हैं हथियार का लाइसेंस लेने की पूरी प्रक्रिया।
कौन ले सकता हैं हथियार? ( How to Get Arms License )
आर्म्स एक्ट, 1959 के तहत कोई भी भारतीय नागरिक आत्मरक्षा के लिए प्रशासन से लाइसेंस की अनुमति के बाद हथियार ले सकता है। हथियार का लाइसेंस जारी करने के लिए राज्य के गृह मंत्रालय और जिलाधिकारियों के पास अधिकार होते हैं। वैसे तो जनता की सुरक्षा के लिए पुलिस है लेकिन आत्मरक्षा के लिए कोई भी व्यक्ति हथियार के लिए आवेदन कर सकता है। हालांकि, यह हथियार केवल खुद की सुरक्षा के लिए है यानी कि आप किसी पर हमला या धमका नहीं सकते। वहीं, सार्वजनिक रूप से इसकी नुमाइश नहीं की जा सकती। आवेदन सही पाने जाए पर व्यक्ति को हथियार दे दिया जाता है।
हथियार लाइसेंस के नियम ( Arms License Rules )
हथियार का लाइसेंस आपको हथियार के इस्तेमाल दिखावे या रुतबा साबित करने के लिए अधिकार नहीं देता है।
किसी को डराने-धमकाने के लिए लाइसेंसी हथियार को काम में नहीं लिया जा सकता।
जिस व्यक्ति के नाम पर हथियार है, केवल वही उसे आत्मरक्षा में चला सकता है।
किसी शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में इसका उपयोग नहीं हो सकता।
किसी अन्य व्यक्ति को बेच नहीं सकते।
हथियार के दम पर गुंडागर्दी नहीं कर सकते।
हथियार लेने की प्रक्रिया
-हथियार का लाइसेंस लेने के लिए सबसे पहले एडीएम ऑफिस में आवेदन करना होेगा। अगर पुलिस कमिश्नरेट का इलाका है, तो कमिश्नर को अर्जी सौंपी जा सकती है।
-आवेदन के बाद कलेक्ट्रेट से एसपी ऑफिस में पुलिस वेरिफिकेशन के लिए फॉरवर्ड किया जाता है।
-एसपी ऑफिस से इसे संबंधित थाना क्षेत्र में फॉरवर्ड किया जाता है। इसके बाद थाना इंचार्ज वेरिफिकेशन करता है। सभी जानकारी की जांच करता है। जिसे बाद में संबंधित एरिया के सीएसपी को भेजा जाता है।
-सीएसपी के आवेदन को वेरिफिकेशन करेगा कि आर्म्स लाइसेंस देना चाहिए या नहीं। सीएसपी के रिमार्क के बाद वापस एप्लीकेशन एसपी ऑफिस में भेजी जाती है।
-इसके बाद आवेदन को क्रिमिनल बैकग्राउंड चेक के लिए डिस्ट्रिक्ट स्पेशल ब्रांच में भेजा जाता है।
-डीएसबी एप्लीकेंट के क्रिमिनल बैकग्राउंड की पूरी जांच-पड़ताल करते हैं
-इसके बाद सभी रिपोर्ट्स हायर अथॉरिटी (ASP, SP) द्वारा देखी जाती हैं। जिसके बाद अंतिम फैसला लिया जाता है।
-एसएसपी के अप्रूवल या डिसअप्रूवल के बाद एप्लीकेशन को एडीएम ऑफिस में भेज दिया जाता है।
-फिर एडीएम ऑफिस से लाइसेंस देने की प्रॉसेस पूरी होती है। हालांकि, यह प्रक्रिया हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है।
Published on:
18 Jul 2020 12:11 pm
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