
फलाहारी समझ व्रत में खा रहे हैं साबूदाना, तो जान लें ये बातें... उड़ जाएंगे होश
नई दिल्ली: यूं तो साबूदाना या इसके पकवानों का उपयोग खास तौर से व्रत-उपवास में किया जाता है, लेकिन साबूदाना बनने की प्रक्रिया जानने के बाद आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठेगा कि क्या साबूदाना सच में फलाहारी है या फिर मांसाहारी? कहीं साबूदाना खाने से व्रत टूट तो नहीं जाता? आइए जानते हैं क्यों है इसका जवाब।
इस तरह तैयार होता है साबूदाना
वैसे तो साबूदाना पूरी तरह से वानस्पतिक है, क्योंकि यह सागो पाम नाम के एक पौधे के तने व जड़ में पाए जाने वाले गूदे से बनाया जाता है, लेकिन निर्माण की प्रक्रिया से गुजरने के बाद यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि साबूदाना मांसाहारी भी हो सकता है। तमिलनाडु में साबूदाना बनाने की कई बड़ी फैक्ट्रियां है। यहां बड़े पैमाने पर सागो पाम की जड़ों को इकट्ठा करके उसके गूदे से साबूदाना बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में गूदे को बड़े-बड़े गड्ढों में महीनों तक सड़ाया जाता है। सबसे खास बात यह है कि ये गड्ढे पूरी तरह से खुले होते हैं, जिसमें ऊपर लगी लाइट्स की वजह से न केवल कई कीड़े-मकोड़े गिरते हैं, बल्कि सड़े हुए गूदे में भी सफेद रंग के सूक्ष्म जीव पैदा होते हैं।
गूदे के साथ मसल दिए जाते हैं कीड़े-मकोड़े और सूक्ष्म जीव
अब इस गूदे को बगैर कीड़े-मकोड़े और सूक्ष्म जीवों के हटाए पैरों से मसला जाता है, जिसमें सभी जीव भी पूरी तरह से मिल जाते हैं और मावे की तरह आटा तैयार होता है। अब इसे मशीनों की सहायता से साबूदाने यानि छोटे-छोटे दाने तैयार होने की प्रक्रिया से गुजारा जाता है और पॉलिश किया जाता है। इस तरह आपके व्रत और उपवास में फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाने वाला साबूदाना, कीट-पतंगों समेत मांसाहारी हो चुका होता है और आप इस बात से पूरी तरह से अंजान होते हैं। तो क्या अब आप कह सकते हैं, कि साबूदाना फलाहारी है।
Published on:
11 Oct 2018 11:34 am
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