आज स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी का निधन हो गया। संगीत की दुनिया में उनका नाम अमर है। और यहां आने वाला हर शख्स उनकी पूजा करता है। उनसे जुड़ा एक गहरा राज है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
आज देश की मशहूर गायिका और स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हो गया। लता मंगेशकर जनवरी माह से ही अस्पताल में भर्ती थीं। वो कोरोना से संक्रमित थीं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। उनके निधन से देशभर बॉलीवुड जगत में शोक की लहर है। राजनीतिक दलों से एकर बॉलीवुड जगत से जुड़े दिग्गज उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं और इसे अपूर्णीय क्षति बताया। लता मंगेशकर की आवाज से न जाने कितने ही लोगों को मन की शांति दी और संगीत के सुरों से दिलों को जोड़ा, परंतु वास्तविक जीवन में लता मंगेशकर ने कभी शादी नहीं की।
मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है जिनमें राष्ट्रीय पुरस्कार,पद्म भूषण,पद्म विभूषण,दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रमुख हैं। उनकी जिंदगी से जुड़ी बातों को लोग जानना और सुनना बेहद पसंद करते हैं।
एक सवाल जो हमेशा उनके चाहनेवालों के जेहन में आता रहता है और वह ये कि लता मंगेशकर ने कभी शादी क्यों नहीं की? क्या थी इसके पीछे की वजह? बहुत कम लोगों को इसके बारे में पता है। आइए आज हम आपको भी बताते हैं कि इस महान शख्सियत ने अपनी जिंदगी में कभी किसी से शादी क्यों नहीं की?
दरअसल, उनके शादी न करने के पीछे कई सारे कारण थे। एक तो बेहद कम उम्र में ही उनके ऊपर पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी थी। बड़ी बेटी होने के नाते भाई-बहनों की जिंदगी को संवारने में वे इतनी व्यस्त रहीं कि अपनी शादी के बारे में सोचने का उन्हें कभी मौका ही नहीं मिला। हालांकि इसके पीछे एक और गहरा राज है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
हम यहां बात कर रहे हैं राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह के बारे में। लता मंगेशकर के साथ राज सिंह के रिश्ते की कई खबरें अकसर मीडिया में आती रही। 19 दिसंबर 1935 को राजपूताना के डूंगरपुर राजघराने में पैदा हुए राज सिंह की दोस्ती लता मंगेशकर के भाई से थी। दोनों एक साथ क्रिकेट खेला करते थे।
राज सिंह जब बड़े हुए तो लॉ की पढ़ाई करने के सिलसिले में मुंबई गए वहां दोबारा उनकी मुलाकात अपने पुराने दोस्त और लता मंगेशकर से हुई। लता मंगेशकर के भाई के साथ राज सिंह अकसर उनके घर पर जाया करते थे। वक्त बीतता गया और उनकी दोस्ती लता जी से हो गई।
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दोनों एक-दूसरे को पसंद करने के बावजूद शादी नहीं कर पाए और इसके पीछे की वजह थी राज सिंह का अपने पिता से किया गया वादा। ऐसा कहा जाता है कि राज सिंह ने अपने मात-पिता से यह वादा किया था कि वो किसी भी आम घर की लड़की को बहू बना कर राजघराने में नहीं लाएंगे। शायद यही वजह रही होगी कि उन्होंने लता जी से अपने रिश्ते को कोई नाम न दे सके।
साल 2009 के 12 सितम्बर को राज सिंह के माता-पिता ने अपना पार्थिव शरीर त्याग दिया। माता-पिता से किए गए वादे को उन्होंने जीवन भर निभाया। उन्होंने ताउम्र शादी नहीं की। इन सबके बावजूद दोनों चैरिटी के लिए एक-दूसरे की अकसर मदद किया करते थे। उनके रिश्ते का असर कभी भी इस पुण्य काम पर नहीं पड़ा।
राज सिंह 16 साल तक राजस्थान रणजी टीम के सदस्य रहें और साथ ही कई वर्षों तक बीसीसीआई से भी जुड़े रहें। इंडियन क्रिकेट टीम के कई दौरों में उन्होंने मैनेजर की भूमिका भी निभाई।
बता दें कि लता मंगेशकर न केवल अब तक की सबसे महान पार्श्व गायिकाओं में से एक थीं, बल्कि भारतीय फिल्म और संगीत उद्योग में सबसे सम्मानित हस्तियों में से एक थीं। 36 भारतीय भाषाओं में गाने रिकॉर्ड करने से लेकर 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने तक, वह लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय हैं।