
jallad pawan
नई दिल्ली। निर्भया कांड (Nirbhaya Case) के दोषियों (Accused) को सूली पर चढ़ाने के लिए पवन जल्लाद का नाम सामने आ रहा है। पिछली चार पीढ़ियों से इस पेशे से जुड़े पवन मेरठ जेल के लिए काम करते हैं। इसके लिए उन्हें हम महीने तीन हजार रुपए बतौर वेतन मिलते हैं। मगर परिवार के गुजारे के लिए ये काफी नहीं होते हैं। साथ ही देश में रोजाना फांसी नहीं दी जाती है। ऐसे में पवन अपने परिवार का खर्चा चलाने के लिए साइकिल पर कपड़े की गठरी रखकर निकलते हैं और फेरी में इसे बेचते हैं।
जल्लाद पवन (Jallad Pawan) का कहना है कि जब वो कपड़ों का गट्ठर साइकिल (Bicycle) के पीछे रखकर आवाज लगाते हुए मेरठ के मोहल्लों में निकलता है, तो औरतें उनसे कपड़े के लिए मोलभाव करती हैं। कई लोगों को ये नहीं पता होता है कि वो एक जल्लाद हैं। पार्ट टाइम के तौर पर किए इस काम से उन्हें दो से तीन हजार रुपए मिल जाते हैं। जिससे उनके घर का खर्च चलता है।
पवन के परिवार में सात लोग रहते हैं। 56 साल के पवन चाहते हैं कि उनका परिवार उनके इस काम को आगे बढ़ाएं। हालांकि उनका बेटा जल्लाद (executioner) का काम नहीं करना चाहता। इसलिए वो दो साल से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। पवन को अपने जल्लाद होने पर फर्क है। उनका कहना है, "जल्लाद का जिक्र सबको डराता है। कई लोगों के लिए ये एक गाली की तरह है। मगर मेरे नाम नाम के साथ 'जल्लाद' लगा है, यही मेरी पहचान है। जल्लाद होना सबके बस की बात नहीं है वरना देश में सैकड़ों जल्लाद होते। उन्हें अपने काम पर गर्व है। वह इसे बतौर ड्यूटी करते हैं।"
Published on:
16 Dec 2019 12:40 pm
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