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आस्था की भेंट चढ़ें बेजुबां, 30 हजार जानवरों की दी गई बलि

Pashubali in Nepal : काठमांडू से 100 किमी दूर स्थित गढ़ीमाई मंदिर में होता है सामूहिक पशु वध का कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट ने परंपरा पर रोक लगाने के लिए जारी किए हैं कई निर्देश

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gadhimai temple

दुनिया 21वीं सदी पर पहुंच गई है। इसके बावजूद देश में कई ऐसी जगह हैं जहां अंधविश्वास और आस्था इतने ज्यादा हावी है कि वहां इंसानियत को भी तांक पर रख दिया जाता है। तभी नेपाल के गढ़ीमाई मंदिर (Gadhimai Temple) में हर साल की तरह इस बार भी 30 हजार जानवरों की बलि दी गई। मंगलवार से शुरू हुआ ये महोत्सव दो दिनों तक चला।

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पांच साल में एक बार लगने वाले इस मेले में बड़ी संख्या में पशुओं की बलि दी जाती है। इस सिलसिले में कई बार पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने आवाज भी उठाई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। मगर हर बार आस्था के नाम पर इन नियमों की अनदेखी की जाती है। काठमांडू से 100 किमी दूर बैरियापुर में स्थित गढ़ीमाई मंदिर (Nepal) में सामूहिक पशु वध का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस परंपरा को खत्म करने के लिए साल 2009 के बाद से प्रतिबंध लगा दिया गया था।

अगस्त साल 2016 में भी नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को गढ़ीमाई मंदिर मेले में पशु बलि रोकने के निर्देश दिए थे। इसके जवाब में गढ़ीमाई पंचवर्षीय महोत्सव की मुख्य समिति ने कहा है कि वह अदालत के आदेश का पालन करेगी और उन्होंने इस साल कबूतरों को नहीं मारेगी। इन सबके बावजूद वहां बलि का सिलसिला जारी है। गढ़ीमाई मंदिर में मंगलवार को भैंसों की बलि दी जाती है। जबकि बुधवार को दूसरे जीवों की बलि दी जाती है। पिछले उत्सव में करीब 10,000 भैंसों का वध हुआ था।