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आंखों के सामने बाढ़ में बह गया घर, फिर भी इस मछुवारे ने बचाई 500 लोगों की जान

महाराष्ट्र में बाढ़ ने ढाया सितम 500 गांव हुए बाढ़ से प्रभावित पेशे से मछुआरे रामदास उमाजी मदने अब तक बचा चुके हैं 500 जानें

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Priya Singh

Aug 19, 2019

sangli

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश से कई ज़िंदगियां बाढ़ के पानी में डूब गई हैं। बाढ़ से यहां करीब 500 गांव प्रभावित हुए हैं। करीब 2 लाख लोग पलायन करने को मजबूर हुए हैं। जहां इस तरह की आपदा में कई लोग अपनों का भी साथ छोड़ देते हैं वहां एक शख्स है जो इस विपत्ति में गैरों के लिए खड़ा है। पेशे से एक मछुआरे रामदास उमाजी मदने ने अब तक बाढ़ में फंसे 500 लोगों की जान बचाई है। इलाके में चारों तरफ फैले पानी को देख रामदास उमाजी घबराते नहीं हैं। सांगली के रामदास उमाजी अपनी जान की बाज़ी लगाकर लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ते हैं।

IMAGE CREDIT: Emmanual Karbhari Facebook (L); Ravindra bhoite twitter

एक मीडिया चैनल को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने बताया कि- एक हफ्ते से लगातार बारिश हो रही थी। हालांकि, अधिकारियों ने इलाके के लोगों को घर छोड़कर सुरक्षित जगह जाने की चेतवानी दे दी थी लेकिन कई लोगों ने इस चेतावनी को नज़रअंदाज़ का दिया उन्हें उम्मीद थी बारिश रुक जाएगी। लेकिन बारिश ने जल्दी ही ज़लज़ले का रूप ले लिया और पूरे गांव को तबाह कर दिया।

2019 में दक्षिण एशियाई नेटवर्क फॉर डैम ( SANDRAP ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सांगली और कोल्हापुर में आई बाढ़ तीन बड़े बांधों - वार्ना, कोयना और राधानगरी का पानी खोलने की वजह से आई। इसके कारण सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए जिसमें से रामदास उमाजी का गांव दुधोंडी भी था। उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने घर को जलमग्न होते हुए देखा। उनके जीवन में आई इस विपत्ति के बाद भी रामदास हर पीड़ित शख्स की मदद के लिए खड़े रहे। लोगों को सही सलामत बाढ़ से निकालने में उनका भतीजा विजय भी उनका साथ देता है। रामदास लोगों की मदद करने में एक गोल नांव (मूंगा) का इस्तेमाल करते हैं। वे इस नांव के इस्तेमाल से बाढ़ पीड़ित क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाते हैं।

छोटी से नांव में लोगों को बैठना एक बड़ी चुनौती होती है लेकिन रामदास उसी नांव से लोगों को बचाने के लिए बाढ़ पीड़ित क्षेत्र का चक्कर लगाते हैं। इस छोटी सी नांव के सहारे अब तक वो कुल 300 से भी ज्यादा चक्कर लगा चुके हैं। इसी तरह से वो इलाके के करीब 500 लोगों को बचाने में सफल रहे हैं। जब रामदास लोगों की जान बचाने में जुटे होते हैं तब उनके भतीजे विजय लोगों को ज़रूरी सामान जैसे पीने का पानी, खाना, कपड़े जैसी ज़रुरत की चीज़ें मुहैया कराते हैं। रामदास के काम को लेकर लोग सवाल भी उठाते हैं लोग उनसे पूछते हैं- 'आखिर ये सब करने की क्या ज़रुरत है' इसपर रामदास उमाजी जवाब देते हैं- 'मैं विपत्ति में फंसे लोगों की मदद क्यों न करूं? ऐसा करने से मैं हीरो नहीं बन जाता बल्कि ये मुझे इंसान बनाता है।'