
नई दिल्ली: कुछ समय पहले तक देश बस एक ही सवाल का जवाब जानना चाहता था कि आखिर निर्भया के दोषियों को फांसी कब होगी? लेकिन इन सवालों पर उस वक्त विराम लग गया, जब पटियाला कोर्ट ने चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया और 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी देने का फैसला सुनाया। लेकिन एक सवाल अब भी लोगों के जहन में है कि क्या अब भी ये चारों दोषी फांसी के फंदे से बच सकते हैं? क्या इनके पास कोई ऐसा रास्ता है? चलिए जानते हैं।
अगर नजर थोड़ा पीछे दौड़ाएं तो दोषियों को फांसी देने में पहली अड़चन ये आ रही थी कि पिछले साल अक्टूबर महीने में निर्भया की मां ने पटियाला कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस पर कोर्ट ने सुनवाई की और तिहाड़ जेल के डीजी को नोटिस जारी करके कैदियों की ताजा रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट के साथ 13 दिसंबर को कोर्ट हाजिर होने को भी कहा था। ऐसे में 13 दिसंबर को फांसी होने का दिन निकल गया। वहीं दूसरी अड़चन ये थी कि आरोपी अक्षय ने 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में फांसी को लेकर रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। बात एक और अड़चन की करें जो थोड़े समय पहले तक की थी तो वो ये कि आरोपी विनय ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी, लेकिन उस पर अभी कोई स्पष्टता सामने नहीं आई। ऐसे में सवाल ये कि राष्ट्रपति इस पर क्या फैसला लेंगें क्योंकि राष्ट्रपति भवन की तरफ से ऐसी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई।
वहीं दोषियों के वकील ने कहां था कि वो रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे जो की गई। लेकिन आपको बता दें कि फांसी वाले दिन जेलर एक बार जरूर अपने दफ्तर भागते हैं और वो भी फांसी से ठीक पहले। वो ऐसा इसलिए करते हैं कहीं फांसी रोकने के लिए दफ्तर में कोई चिट्ठी या फोन तो नहीं आया। अगर ऐसा कुछ निर्भया केस में होता है तो फांसी रोकी भी जा सकती है। लेकिन फिलहाल मौजूदा स्थित ये है कि जेल प्रशासन ने फांसी की तौयारियां शुरू कर दी है। मेरठ से आए जल्लाद पवन रोज फांसी देने की प्रैक्टिस भी कर रहे हैं।
Updated on:
13 Jan 2020 12:52 pm
Published on:
12 Dec 2019 02:16 pm
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