
नई दिल्ली: जब भी टाइटेनिक शब्द जुबान पर आता है, तो सबसे पहले सामने वो विचलित करने वाली तस्वीर बनती है। अप्रैल 1912 में अपनी पहली यात्रा पर निकला उस समय का सबसे विशालकाय, सुरक्षित और सबसे शानदार जहाज पहले ही यात्रा में ध्वस्त हो गया था। विशाल हिमखंड से टकाने के बाद इस जहाज ने अटलांटिक महासागर में जलसमाधि ले ली थी। लेकिन पहली बार हिमखंड से टकराने और समुद्र में समाने की वजहें एक डॉक्यूमेंट्री में सामने आई हैं।
सामने आई ये सच्चाई
जाने-माने जहाज विशेषज्ञों ने सालों-साल शोध करने के बाद टेन मिस्टेक्स दैड संक द टाइटेनिक नामक डॉक्यूमेंट्री को तैयार किया है। डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि कई चूकों के चलते टाइटेनिक जहाज समुद्र में समया गया। दरअसल, जब टाइटेनिक जहाज रूका तो यात्री परेशान हो उठे। ऐसे में उन्होंने अपने आसपास वाली छोटी खिड़कियों को खोल दिया। हाालांकि, यात्रियों से छत पर जाने को कहा गया था। लाइफ बोट पर जाने से पहले यात्रियों ने 12 खिड़िकयों को खुला छोड़ दिया। जहाज में ऐसी सैकड़ों खिड़कियां थीं। इन खुली खिड़कियों से जहाज में पानी तेजी से भरने लगा।
लगी थी 30 लाख कीलें
दूसरी तरफ टाइटेनिक के आगे का हिस्सा इतना बड़ा था कि इसमें 30 लाख कीलें लगी हुई थी। उच्च गुणवत्ता वाली कीलें लगाने के लिए बड़ी हाइड्रोलिक मशीन की जरूरत होती है, लेकिन ये संभव नहीं था। ऐसे में मैनुअली तरीके से ही इन कीलों को लगया गया, जिससे इनकी गुणवत्ता में कमी रह गई। ऐसे में हिमखंड से टकराते ही जहाज का ये हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया और इसके टूटने से जहाज में पानी भर गया। वहीं डॉक्यूमेंट्री के मुताबिक, टाइटेनिक जहाज इसलिए भी डूबा क्योंकि अधिकारियों के पास उस केबिन की चाबी नहीं थी, जिसमें रखी दूरबीन से उन्हें देखना था। वो चाबी उनसे खो गई थी। ऐसे में हिमखंड दिखने के 30 सेकंड बाद ही टाइटेनिक जहाज टकरा गया था और जहाज को डूबने में 2 घंटे 40 मिनट लगे थे।
तेज रफ्तार में था टाइटेनिक
डॉक्यूमेंट्री में ये भी बताया गया है कि 17 अप्रैल को न्यूयॉर्क पहुंचने के लिए टाइटेनिक जहाज औसतन 18 नॉट से ज्यादा तेज रफ्तार से चल रहा था। वहीं अगर ये धीमी गति से चलता तो इस आपदा से जहाज को और 1500 लोगों की जान को बचाया जा सकता था। टाइटेनिक जहाज को कप्तान एडवर्ड चला रहे थे। उन्हें अपनी तेज रफ्तार से जहाज को चलाने के लिए जाना जाता था। लोग इसलिए भी उनके साथ यात्रा करना पसंद करते थे क्योंकि वो यात्रियों को जल्दी से जल्दी उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचा देते थे।
Published on:
01 Nov 2019 12:05 pm
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