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क्या नेता जी सुभाष चंद्र ने गुमनामी बाबा बनकर गुज़ारी थी गुमनाम ज़िंदगी? जानें क्या है सच

18 अगस्त 1945 को नेता जी ने तीन रेडियो ब्रॉडकास्ट किए थे और इसी दिन हुए प्लेन क्रैश में उनके मरने की बात सामने आई थी। लेकिन इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला। फिर मीडिया में खबरें आई की नेता जी जिंदा है..

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नई दिल्ली। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा...। जैसे स्लोगनों से युवाओं को राष्ट्रप्रेम के लिए प्रेरित करने वाले सुभाष चंद्र बोस (subhash chandra bose birthday) का कल यानी 23 जनवरी को 123वीं जयंती है। नेता जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। बोस बाबू ने देश की आजादी के लिए क्या क्या किया है ये तो सभी जानते हैं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजाद हिंद फौज बनाई थी। लेकिन हमेशा देश के मरने के लिए तैयार रहने वाले सुभाष चंद्र बोस ((subhash chandra bose) की मौत ही एक रहस्य बनकर रह गई। किसी को नहीं पता वो कहां गए, उन्होंने कब इस दुनिया को अलविदा कहा।

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नेताजी सुभाषचंद्र बोस के गायब होने के बाद उनकी हर जगह खोज खबर की गई लेेकिन उनका पती नहीं चला। दिन बीते, महीने बीते, साल भी बीत गए लेकिन उनके बारे में कोई खबर नहीं मिली। बताया जाता है 18 अगस्त 1945 को नेता जी ने तीन रेडियो ब्रॉडकास्ट किए थे और इसी दिन हुए प्लेन क्रैश में उनके मरने की बात सामने आई थी। लेकिन इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला। फिर मीडिया में खबरें आई की नेता जी जिंदा हैं। वे अयोध्या के सिविल लाइंन्स में स्थित रामभवन में एक बाबा बनकर रहते थे लोग उन्हें भगवनजी (Gumnami Baba) कहते थे।इनकी जिंदगी बहुत रहस्यमयी थी। यह किसी से मिलते-जुलते नहीं थे। बहुत कम बाहर निकलते थे। कम बोलते थे। लोग इन्हें भगवनजी कहते थे। कुछ इन्हें गुमनामी बाबा कहकर भी बुलाते थे।

16 सितंबर 1985 को इनकी मौत हो गयी। इनकी मौत के दो दिन बाद गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया गया। बाबा के निधन के बाद जब इनका कमरा खोला गया, तब पता चला यह कोई साधारण बाबा नहीं थे। कमरे में जो सामान मिले उससे सबकी आंखें खुली रह गयीं। बाबा के कमरे से नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे, 555 सिगरेट और विदेशी शराब का बड़ा जख़ीरा मिला। रोलेक्स की जेब घड़ी मिली। आज़ाद हिन्द फ़ौज की यूनिफॉर्म मिली।

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बाबा के कमरे से कई ऐसे सामान मिले जो यह साबित करते थे कि यही नेता जी है। इसके बाद नेता जी की बेटी ललिता बोस ने असलियत का पता लगाने के लिए साल 1986 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। जिसमें कहा गया गुमनामी बाबा ही नेताजी थे। जिसके बाद साल 1999 में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मनोज मुखर्जी आयोग ने नेताजी की मौत पर जांच कि जिसमें कहा गया कि नेता जी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। हालांकि इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया था।

साल 2010 में फिर से नेता जी की मौत को लेकर कुछ और याचिकाएं दायर हुईं। इसके बाद 28 जून 2016 को सरकार ने जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग बनाया। आयोग ने गुमनामी बाबा के बारे में जांच की और 130 पेज की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है गुमनामी बाबा का असल परिचय ज्ञात नहीं हो सका है। यानी अब भी यह रहस्य बना ने लिखित पत्र भेजकर बताया था कि गुमनामी बाबा उर्फ भगवन जी का नेताजी सुभाषचंद्र बोस से कोई संबंध नहीं था ।

गुमनामी बाबा के परिवार के सदस्यों के द्वारा जस्टिश विष्णु सहाय आयोग को 5 पन्ने का पत्र भेजकर गुमनामी बाबा के नेताजी सुभाष चंद्र बोस ना होने की बात कहने के बाद कहीं ना कहीं यह तस्वीर साफ हो जाती है की नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा में कोई संबंध नहीं था । लेकिन आखिर में फिर एक सवाल उठता है कि आखिर कौन थे गुमनामी बाबा जो हूबहू नेता जी कि तरह थे।