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गांधी जी के बेटे को देखकर नाथूराम गोडसे ने कही थी ये बात, सुन चौंक गए देवदास गांधी

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे को बताया देशभक्त इतिहास के पन्नों में एक काला अध्याय जोड़ने वाला था नाथूराम नाथूराम गोडसे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेटे में क्या हुई थी बात

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गांधी जी के बेटे को देखकर नाथूराम गोडसे ने कही थी ये बात, सुन चौंक गए देवदास गांधी

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में तमाम दिग्गज नेताओं ने अपने चुनावी प्रचार के दौरान कई बयान दिए हैं जिनसे विवाद खड़े हो गए। भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर ( pragya singh thakur ) ने हाल ही में अपने रोड शो के दौरान महात्मा गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) के हत्यारे नाथूराम गोडसे ( Nathuram Godse ) को देशभक्त बताया। आज हम आपको नाथूराम गोडसे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेटे की उस बातचीत का बारे में बताएंगे जो गोडसे के हिरासत के दौरान हुई थी। उससे पहले ये जान लीजिए सन 1910 में आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर भारतीय इतिहास के पन्नों में एक काला अध्याय जोड़ने वाले नाथूराम गोडसे का जन्‍म हुआ था।

इतिहासकारों की मानें तो नाथूराम भारत और पाकिस्तान के विभाजन का ज़िम्मेदार गांधी जी को मानता था। नाथूराम चाहता था कि गांधीवाद के पैरोकार उससे आकर गांधीवाद पर चर्चा करें। अपने अंतिम समय तक नाथूराम यह चाहता रहा कि वह यह बता सके कि गांधीवाद से देश को क्या नुकसान हुआ है। महात्मा गांधी की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे को तुगलक रोड स्थित पुलिस स्टेशन में रखा गया था। उस समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के छोटे बेटे पुत्र देवदास गांधी, नाथूराम गोडसे से मिलने गए थे।

बता दें कि देवदास को तब तक नहीं पता था कि गांधी जी की हत्या किसने की है। उन्हें लगा था कि किसी सिरफिरे ने उनके पिता ही हत्या की है। जैसे ही वे हवालात पहुंचे नाथूराम ने उन्हें सामने से पहचान लिया और कहा, "मैं समझता हूं आप श्रीयुत देवदास गांधी हैं।" इस पर देवदास हैरान रह गए, उन्होंने पूछा, "आप मुझे कैसे जानते हैं।" इस पर नाथूराम ने जवाब दिया कि, "हम लोग एक संपादक सम्मेलन में मिल चुके हैं। वहां आप 'हिंदुस्तान टाइम्स' के संपादक के नाते और मैं ‘हिंदूराष्ट्र’ के संपादक के रूप में आया था।"

नाथूराम ने कहा, "आज आप मेरी वजह से अपने पिता को खो चुके हैं। आप और आपके परिवार पर जो वज्रपात हुआ है, उसका मुझे खेद है। मैंने गांधी की हत्या व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से की है। आप पुलिस से पूछिए, अगर पौने घंटे का समय दें, जिससे मैं आपको बता सकूं कि मैंने गांधी की हत्या आखिर क्यों की?" हालांकि, उस समय पुलिस वालों ने देवदास-गोडसे मुलाकात को 3 मिनट से ज्यादा बढ़ाने से इंकार कर दिया, जिससे गांधी की हत्या पर गोडसे, देवदास के साथ चर्चा नहीं कर सके थे।