
Post mortem
नई दिल्ली। हमारे बीच कई ऐसी परंपराएं हैं जिनके बारे में यदि सोचें तो थोड़ी हैरानी ज़रूर होगी, ऐसा ही एक परंपरा है जिसे हम अपने आसपास सुनते और देखते भी हैं। वह है किसी के शव के पोस्टमॉर्टम की, आखिर क्या वजह होती है जिसकी वजह से रात की बजाय दिन में पोस्टमॉर्टम होता है इसके पिछे की वजह के बारे में जानते हैं।
ोस्टमॉर्टम मेडिकल में एक तरह का ऑपरेशन माना गया है। बस फर्क इतना है कि इसमें शव का परीक्षण किया जाता है। जबकि ऑपरेशन में जीवित व्यक्ति का ऑपरेशन किया जाता है, पोस्टमॉर्टम की वजह है व्यक्ति के मौत का सही कारण पता लगाना। इसके बारे में कम हीलोग जानते होंगे कि पोस्टमॉर्टम के लिए मृतक के करीबी रिश्तेदारों की सहमति अनिवार्य होती है। वेसे कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पोस्टमॉर्टम की अनुमति दे सकते हैं।
जानकारों की माने तो किसी की मृत्यु के छह से 10 घंटे के भीतर पोस्टमॉर्टम कराया जाता है, दरअसल इसके बाद शवों में प्राकृतिक परिवर्तन होने लगता है।
खासबात यह है कि किसी के भी शव का पोस्टमॉर्टम सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच ही कराया जा सकता है। दरअसल रात में ट्यूबलाइट या एलईडी की कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग लाल के बजाए बैंगनी दिख सकता है। और फॉरेंसिक साइंस में बैंगनी रंग की चोट का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
जानकार मानते हैं कि कुदरत के रोशनी या सूर्य के उजाले में एवं कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग अलग-अलग दिख सकता है। जिससे पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट को कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है।
इसके अलावा रात के समय पोस्टमॉर्टम नहीं कराने की बड़ी वजह धार्मिक कारण को भी मना जाता है। कई धर्मों में रात के समय या सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं होती है। एक बड़ी वजह इस परंपरा को भी माना जाता है।
Published on:
26 Feb 2021 08:12 pm
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